रुद्रप्रयाग: वर्ष 2013 की केदारनाथ त्रासदी तो खुली आंखों से पूरे जनमानस ने देखी और अपने स्तर से उसका बखान भी किया, लेकिन जिले में एक ब्यक्ति ऐसा भी है जिन्होने बन्द आखों से इस भीषण त्रासदी को महसूस किया और केदारनाथ धाम से सकुशल वापस अपने घर लौटे। अब वे उस त्रासदी को अपने गीतों के माध्यम से जनता को बता रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं ढपली लेकर अक्सर धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजनों में धमाल मचाने वाले जन्मांध लोक गायक धर्मसिंह राणा की। जो कि संगीत की सभी विधाओं में पारंगत हैं और बडी बात यह है कि ये वाद्य यंत्र बजाना इन्होने स्वयं ही सीखे हैं। ढपली पर ये ढोल सागर की सभी तालों को बजा लेते हैं और महज सुनने से ही इन्होंने कई ऐतिहासिक गाथाओं को याद किया है। संस्कृत की कठिन उक्तियां ये साफ उच्चारण में गाते भी हैं। लाठी के सहारे अकेले ही सभी जगहों पर पहुँच जाते हैं और मोबाइल के सैकडों नम्बर इन्हें कण्ठस्त याद हैं। अब तक करीब आधा दर्जन आडियो कैसेटस में भी अपने स्वरचित गीतों को गा चुके हैं, जिनमें साण जग्गि व कार्तिक स्वामी ढाडा कैसेट ने इन्हें काफी प्रसिद्दी दिलवाई।
आपको बता दें कि वर्ष 2013 की आपदा के दौरान धर्मसिंह भी केदारनाथ में ही मौजूद थे और किस तरह से आपदा आयी और फिर कैसी अफरा-तफरी मची, इन्होंने उसे महसूस किया और उस पर दो गीतों को तैयार किया, जो कि काफी प्रचलित भी हो रहे हैं। स्वयं जिलाधिकारी ने भी धर्मसिंह की तारीफ की है और उनके गीतों की रिकार्डिंग करवाने का भरोषा भी दिलवाया है।