नई दिल्ली: ऑनलाइन फार्मेसी के बढ़ते चलन से आहत दवा विक्रेताओं ने मोर्चा खोल दिया है। ऑल इंडिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट ऑर्गेनाइजेशन शुक्रवार को राष्ट्रीय स्तर पर दवा दुकानों को बंद रखने का ऐलान किया है। देश के सात करोड़ व्यापारी मतदाता आज भारत बंद में शामिल होकर अपना रोजगार बंद रखेंगे। बता दें कि दवा विक्रेताओं ने ऐसा फैसला ई-कॉमर्स, फूड सेफ्टी एक्ट, ऑनलाइन शॉपिंग, वायदा कारोबार से नुकसान को लेकर किया है। विरोध के परिणामस्वरूप आज के दिन किसी भी तरह का कोई भी कारोबार नहीं किया जाएगा।
भारत व्यापार बंद का आह्वान वालमार्ट, फ्लिपकार्ट डील और रिटेल में विदेशी निवेश के खिलाफ कान्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने किया है। दवा विक्रेताओं ने सरकार के फैसले का विरोध किया है और कहा कि ई-फार्मेसी से उनके धंधे पर खतरा उत्पन्न हो गया है और इससे दवाओं के दुरुपयोग का जोखिम पैदा हो सकता है। इस दौरान दवा विक्रेता ने उनकी मांगे नहीं माने-जाने पर बेमियादी हड़ताल की धमकी भी दी है।
इस बंद पर ट्रेडर्स का तर्क है कि अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट भले ही देश में ऑनलाइन बाजार कर रही है लेकिन आने वाले समय में वह ऑफलाइन बाजार में भी दस्तक दे देगी। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के जनरल सेक्रेटरी प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि ऐसी कंपनियां दुनिया में से कहीं से भी सामान लाएंगी और देश को डंपिंग ग्राउंड बना देंगी। ऐसे में भारतीय रिटेलर्स के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड समान नहीं रहेगा और उनका बिजनेस चौपट हो जाएगा। उनका कहना है कि देश में इस वक्त लगभग 7 करोड़ रिटेलर्स हैं, जिनमें से लगभग 3 करोड़ रिटेलर्स को इस डील से सीधे तौर पर नुकसान होने वाला है।
गौरतलब है कि अमेरिका का दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट ने भारत की ई-कॉमर्स साइट फ्लिपकार्ट की 75 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है। इस डील को फ्लिपकार्ट के बोर्ड की ओर से भी हरी झंडी दे दी गई है। करीब 1 लाख करोड़ रुपए में यह सौदा तय किया गया है।