देहरादून : नगर निकाय चुनाव के परिसीमन के सरकार के नोटिस को कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इसके कई मायने निकाले जा सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार के लिए यह बहुत बड़ा झटका है। बड़ा इसलिए कि सरकार को इससे इतना तो पता चल ही गया कि मनमानी का परिणाम क्या होता है। दूसरा यह कि सरकार की देरी से चुनाव कराने की जिस मंशा का जानकार अंदाजा लगा रहे थे। उसको भी धक्का लगा है। सरकार चाहती है कि कोर्ट इस मामले में जल्द कोई निर्णय न दे। कोर्ट ने चुनाव कराने को लेकर भले अभी कोई निर्णय नहीं दिया हो, लेकिन उससे पहले सरकार को झटका जरूर दे दिया। उन गांवों के लोगों की बात सुनी, जिसको सरकार ने अनसुना कर दिया था।
कुछ और सवाल भी खड़े हो रहे हैं। उनमें सबसे अहम सवाल है नगर निकायों में सीटों के आरक्षण निर्धारण का। दरअसल, सरकार प्रदेश के सात नगर निगमों के आरक्षण की अनंनतिम सूची पहले ही जारी कर चुकी है। साथ ही नगर पालिका और नगर पंचायतों के आरक्षण की प्रस्तावित सूची भी पहले ही जारी की जा चुकी है। हालांकि अब तक उस पर अंतिम मुहर नहीं लगी है। सरकार कह रही है कि इस मामले को लेकर डबल बेंच में अपील करेंगे, लेकिन जिस तरह से एक साथ प्रदेश के कई गावों ने कोर्ट के सामने अपनी बात रखी, उससे लगता नहीं कि सरकार को कुछ राहत मिल पाएगी।
सरकार अपने फैसले को सही ठहरा रही थी, लेकिन कोर्ट ने गांव वालों की बात को सुनते हुए सरकार के फैसले को फिलहाल गलत साबित कर दिया। इससे चुनाव तैयारियों में जुटी सरकार के लिए भी एक और नई परेशानी खड़ी हो गई। सरकार चुनाव अपनी तैयारियों के मुताबिक कराने की फिराक में थी, जिसको लेकर कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए थे। परिसीमन के नोटिफिकेशन को रद्द करने के फैसले ने कांग्रेस को भी एक मुद्दा दे दिया है। तय है कि कुछ दिन इसको लेकर प्रदेश में राजनीति भी गर्म रहेगी।
एक अहम सवाल पहले ही लेट हो चुके नगर निकाय चुनाव को लेकर भी है। नगर निकाय चुनाव को समय से कराने को लेकर चुनाव
आयोग ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। उस पर अभी फैसला आना बाकी है। यह देखना होगा कि मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई की तारीख तय हुई है। उस दिन कोर्ट क्या फैसला देता है। अगर कोर्ट ने निर्वाचन आयोग की चुनाव जल्द कराने की मांग को मान लिया तो, एक बात तय है कि निकाय चुनाव पुराने परिसीमन पर ही होंगे। उससे कई प्रत्याशियों का सियासी गणित भी गड़बड़ा जाएगा और सरकार को एक के बाद एक और बड़ा झटका लगेगा।
….प्रदीप रावत (रवांल्टा)