पिथौरागढ़: सर्दियों का सबसे सर्द महीना गुजरने को है मगर बारिश और बर्फबारी ना होने से पहाड़ वासियों पर चौतरफा मार पड़ रही है। इससे जहां पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ता जा रहा है तो वहीं पर्यटन कारोबार भी पूरी तरह चौपट हो गया है। आलम यह है कि बर्फ का दीदार करने पहाड़ पहुंचे पर्यटकों को मायूस हो कर यहां से वापस लौटना पड़ रहा है।
दिसम्बर और जनवरी के महीने में पहाड़ की वादियां अक्सर बर्फ से गुलजार हुआ करती थी मगर इस बार पहाड़ में चारों ओर एक दम सूखा पड़ा है। हर साल इस मौसम में बर्फ से लदे रहने वाले पहाड़ सूखे नज़र आ रहे है। मौसम की बेरूखी के चलते देश-विदेश से बर्फ का मजा लूटने के लिए पिथौरागढ़ पहुंचे वाले सैलानियों को निराशा हाथ लगी है। बर्फबारी का दीदार किये बगैर ही पर्यटकों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है। जिसके चलते पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों की रोजी रोटी भी संकट में है। ज़िले के प्रमुख पर्यटक स्थलों होटल खाली पड़े है।
राज्य के पिथौरागढ़, उत्तराकाशी, चमोली और नैनीताल जिले की ऊंची चोटियों में हिमपात ना होने की वजह से पर्यटन व्यवसाय भी पूरी तरह पटरी से उतर गया है। जबकि पहाड़ों में इस बार विंटर गेम्स की रौनक भी देखने को नहीं मिल रही। मुनस्यारी के खलियाटॉप में हर साल आयोजित होने वाली स्कीइंग प्रतियोगिता भी बर्फबारी नहीं होने से प्रभावित हुई है। केएमवीएन अधिकारीयों का कहना है कि बर्फ़बारी नहीं होने से इस सीजन में होने वाले साहसिक खेलों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है।
बारिश और बर्फबारी ना होने से पहाड़वासियों की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है, ऐसे में अगर इंद्र देवता जल्द ही मेहरबान नहीं हुए तो पहाड़ को गर्मियों में गंभीर पेयजल संकट से जूझना पडेगा और साथ ही पर्यावरणीय खतरे भी भुगतने पडेंगे।