देहरादून: महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स जितना प्रतापी है। वहां के कर्मचारी उतने ही परेशान हैं। सरकार पक्की सरकारी रोटी खाने वालों पर तो मेहरबान है। उनसे सरकार को डर भी लगता है, लेकिन बेचारे संविदा कर्मी सरकार से ही डरे-डरे रहते हैं। संविदा कर्मियों को पिछले चार माह से एक वेतन ही नहीं दिया गया। पूरे प्रदेश का भी यही हाल है। कई सरकार से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सरकार को काई फर्क ही नहीं पड़ता। नियमित कर्मचारियों का वेतन एक माह लेट हुआ, तो उन्होंने सरकार की नाक में दम कर दिया। मजबूरन सरकार को उनका वेतन देना पड़ा। बेचारे संविदा कर्मी अब भी सरकार से अपनी मेहनत से कमाई वेतन के लिए मुंह ताक रहे हैं।
जिस तरह का रवैया सरकार अपना रही है। उससे एक बात तो साफ है कि सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है। 10 से 15 हजार कमाने वाले को डराती है और 50-60 हजार वाले से डरती है। महाराणा प्रताप स्पोट्र्स स्टेडियम समेत प्रदेश के सभी खेल हाॅस्टल संविदा कोचों के भरोसे चल रहे हैं। वही कोच प्रदेश के लिए खिलाड़ियों को तरास रहे हैं, लेकिन सरकार उनको समय से वेतन ही नहीं दे रही। देहरादून में फिर भी चार-पांच माह में एक बार वेतन मिल जाता है, लेकिन दूसरे जिलों में 7-8 माह में ही एक बार वेतन आता है, वह भी केवल एक माह का। चार माह को जो वेतन होता है। उसके मिलने का अगर औसत लगाया जाए तो संविदा कर्मियों को तीन माह में एक माह का वेतन मिल पाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे लोग कैसे काम करते होंगे।
उनके जिम्मे रोजाना खिलाड़ियों को क्या परोसा जा रहा है। उसकी फोटो सरकार के बड़े-बड़े अफसरों को भेजनी होती है। इतना ही नहीं रोज के तीनों समय के भोजन की रिपोर्ट भी इन्हीं को भेजनी होती है। खिलाड़ियों से प्रैक्टिस भी इनको ही करानी है। इतना सारा काम करने के बावजूद चार-पांच और सात-आठ माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है।