उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के 7 दिन के जारी किए गए अल्टीमेटम के बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर में सड़कों के हालात जस के तस हैं।
हाल यह हैं कि यहां सड़कों पर गढ्ढे नहीं है बल्कि गढ्ढों में सड़क है। जिससे ट्रांसपोर्ट विभाग व कर्मचारी तो परेशान हैं ही लेकिन यहां से अपने गन्तव्यों को जाने वाले जनमानसों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ तो यहां पर न तो ट्रकों की पार्किंग पार्किंग स्थल पर की जाती है और ना ही कोई नियम कायदे यहां निभाए जाते हैं। और सड़कों के हालात यह है कि बीच सड़क में बड़े-बड़े गढ्ढे हैं और सड़कों के दोनों तरफ बड़े-बड़े ट्रक जिस कारण लोगों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं होता, गढ्ढों के उपर से जाने के अलावा।
वहीं जब हैलो उत्तराखंड ने इस बाबत एमडीडीए सचित पी.सी दुमका से बात की तो उन्होंने सीवर लाइन डलवाने का हवाला देकर कहा कि सीवर लाइन डलवाने के बाद ही सड़कों को ठीक किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि सड़कों के सुधारीकरण के लिए स्ट्रीमैंट तैयार किए जा चुके हैं और जल्द कार्य किया जाएगा।
सवाल यह है कि आखिर 7 दिन के दिए गए सीएम और शहरी विकास मंत्री द्वारा अल्टीमेटम के बाद भी एमडीडीए कार्य क्यूं नहीं कर पाया? हालांकि सीएम ने दून के सभी सड़कों को दुरुस्त करने का निर्देश दिया है, जिसपर कार्य होते हुए कई जगहों पर देखने को भी मिल रहा है, लेकिन एमडीडीए ने अभी टक ट्रांसपोर्ट नगर में कार्यवाही नहीं की है।
अब ऐसे में देखना ये होगा कि सीएम के फरमान को एमडीडीए हल्के में लेता है या फिर दी गई डेडलाइन के अंदर ही सड़कों को दुरस्त किया जाएगा।