देहरादून। मंगलवार को देश के निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की हड़ताल का असर राजधानी दून में भी दिखा। नेशनल मेडिकल बिल के विरोध में डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार से देशभर के साथ-साथ दून में भी मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। प्रदेश में लगभग ढाई हजार निजी क्लीनिक पूरी तरह से हड़ताल से प्रभावित रहे। आईएमए के प्रांतीय महासचिव डॉ डीडी चौधरी ने प्रेस वार्ता कर सरकार के इस फैसले को आम जनता को परेशान करने वाला बताया है।
चौधरी ने कहा कि अगर मांगें पूरी न की गयी तो उनका ये आंदोलन और उग्र होगा। साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि फरवरी महीने में पूरे देश के डॉक्टर हड़ताल पर जा सकते हैं। सरकार की ओर से जारी नेशनल मेडिकल बिल के खिलाफ सभी डॉक्टरों ने ओपीडी का बहिष्कार किया, हालांकि इमरजेंसी सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया।
गौरतलब है कि शुक्रवार को संसद में नेशनल मेडिकल कमिशन बिल पेश किया गया था। इसमें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर नए संगठन नेशनल मेडिकल कमिशन के गठन का प्रस्ताव है। इसके अलावा वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को भी मंजूरी दिए जाने का प्रावधान है। वहीं इस बिल का विरोध कर रही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि इससे मेडिकल प्रोफेशनल्स का काम प्रभावित होगा और उन्हें पूरी तरह से नौकरशाही और गैर-मेडिकल प्रशासकों के प्रति जवाबदेह होना होगा।
हालांकि हड़ताल को देखते हुए केंद्र सरकार ने दोपहर 2 बजे मेडिकल कमिशन बिल को सुधारीकरण के लिया संसदीय स्थायी समिति को भेज दिया जिससे डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ली। अब देखना दिलचप्स होगा कि संसदीय स्थायी समिति किस तरह से इस बिल में सुधार करती है।