बागेश्वर: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के प्रति अधिकारी कितने सजग हैं, इसकी बानगी जिलाधिकारी की समीक्षा में देखने को मिली है। दरअसल जब यहां जिलाधिकारी ने सिलसिलेवार मनरेगा के तहत किये जा रहे कार्यों की जानकारी लेनी शुरू की तो इस दौरान कई अधिकारी या तो बगलें झांकते हुये नजर आये जबकि कुछ इंटरनेट का बहाना बनाने लगे।
बता दें कि मनरेगा के तहत बागेश्वर जिले में इस साल कुल एक हजार योजनायें स्वीकृत की गयी हैं। जिनमें अभी तक करीब तीन करोड़ की धनराशि खर्च की जा चुकी है। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश योजनायें अभी भी आधी अधूरी ही हैं जबकि काफी धन भी खर्च किया जा चुका है। समीक्षा में बेहद चौंकाने वाली बात सामने आई है।
यहां मनरेगा से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि मनरेगा कार्य कर रहे करीब साढ़े चार हजार ग्रामीणों के खातों में पैसा नहीं डाला गया है। जिस पर जिलाधिकारी का पारा चढ़ गया। समीक्षा के दौरान तीनों विकासखंडों में विकास की गति बेहद धीमी होने की बात भी सामने आयी। सबसे अधिक खराब स्थिति कपकोट विकासखंड की देखी गयी। वहीं जब जिलाधिकारी ने अवर अभियंता और कम्प्यूटर ऑपरेटर से मनरेगा योजनाओं की डाटा फिटिंग के कामों की धीमी गति का कारण पूछा तो वो इस पर इंटरनेट की धीमी गति की जानकारी देते नजर आये। कर्मचारियों के इस टालमटोल रवैये को लेकर जिलाधिकारी ने तीनों ब्लाकों के अवर अभियंता और कम्प्यूटर ऑपरेटर के वेतन रोकने के आदेश जारी कर दिये।
उन्होंने सीडीओ से कहा कि इसके लिये समय सीमा तय की जाये और जब तक सारे डाटा ऑनलाइन नहीं कर दिये जाते तब तक वेतन आहरण नहीं किया जायेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि अगर समय सीमा के अंदर काम नहीं होता है तो बीडीओ सहित पूरे विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों का वेतन रोकने के कार्यवाही की जायेगी।
वहीं जिलाधिकारी ने सोशल साइट में चल रहे वाइरल मैसेज मनरेगा के तहत दो मंजिले भवन में गौशाला निर्माण का भी संज्ञान लिया। उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जाएगी। अगर यह मामला भी सही पाया गया तो संबंधित के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही होगी।