देहरादून: अदालती आदेश के बावजूद बिना नोटिस दिए अवैध निर्माणों को ढहाने के मामले में हरिद्वार के जिला अधिकारी (डीएम) और रुड़की एसडीएम द्वारा दिए गए माफीनामे को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने इन दोनों की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी की है। सोमवार को दोनों अफसरों ने इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट की नाराज़गी पर माफी याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इसे मानने से इनकार कर दिया बल्कि इन दोनों के लिए कड़ी टिप्पणी भी की।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हम वैसे लोगों को नहीं पसंद करते जो कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते। पीठ ने कहा कि हम उनके माफीनामे से हम संतुष्ट नहीं हैं। वास्तव में पीठ ने पाया कि इन अधिकारियों के माफीनामे को बिना शर्त माफी नहीं कहा जा सकता। पीठ ने उन्हें फिर से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।
बता दें कि पिछली सुनवाई में पीठ ने दोनों वरिष्ठ अधिकारियों से पूछा था कि अदालती आदेश के बावजूद उन्होंने बिना नोटिस दिए अवैध निर्माणों को ढहाया गया। अधिकारियों का कहना था कि अदालत के आदेश पहुंचने से पहले कार्रवाई की जा चुकी थी। इस पर पीठ ने उनसे पूछा था कि आखिर अदालती आदेश की अनदेखी कर क्यों कार्रवाई की गई।