पिथौरागढ़: जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में पत्थरबाजों के हमले में शहीद हुए राजेन्द्र सिंह की मौत के बाद उनके दोस्त भी गहरे सदमे में है। वो दोस्त जो बचपन से ही राजेन्द्र के साथ खेले-कुदे और साथ-साथ फौज भर्ती की तैयारी करते थे वो राजेन्द्र को अपने बीच ना पाकर खुद को अकेला महसूस कर रहे है। राजेन्द्र ने कुछ दिन पहले ही अपने सभी दोस्तो को फोन किया था और कहा था कि वो दिवाली की छुट्टी लेकर घर आयेंगे और सभी दोस्त मिलकर साथ में ही दिवाली मनायेंगे। उनके दोस्तों ने सपने में भी नही सोचा था कि मात्र 24 साल की उम्र वो ही वो अपने दोस्त राजेन्द्र को तिरंगे से लिपटा हुआ देखेंगे।
पत्थरबाजों के हमले में हुई राजेन्द्र की मौत की खबर सुनकर उनके दोस्त काफी आहत है और उन्होने पत्थरबाजों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। राजेन्द्र के बचपन के दोस्त दीपक सिंह ने कहा कि जिस तरह पत्थरबाजों ने उनके दोस्त को मौत के घाट उतारा उसी तरह पत्थरबाजों को भी सबक सिखाना चाहिए। वहीं शहीद राजेन्द्र के दोस्त संजय सिंह बताते है कि वो दोनों साथ ही फौज की भर्ती की तैयारी करते थे और राजेन्द्र अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत फौज में भर्ती हो गये। संजय ने बताया कि जब से उन्होंने दोस्त की मौत की खबर सुनी है तबसे उनके मुंह में एक निवाला तक नहीं गया।
दोस्तों ने जानकारी देते हुए बताया कि राजेन्द्र रानीखेत में हुई भर्ती में पास होकर सेना में 3 साल पहले ही भर्ती हुए थे। 15 दिन पहले ही उनकी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में हुई थी। राजेन्द्र कश्मीर के अनंतनाग में बी आर ओ के एक काफिले की सुरक्षा में तैनात थे। गुरूवार को हुए पत्थरबाजों के हमले में वो बुरी तरह जख्मी हुए थे और जम्मू बेस अस्पताल में उन्होने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। मात्र 24 साल की उम्र में देश सेवा की खातिर अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद राजेन्द्र सिंह बुंगली की मौत के बाद से ही उनके गृह क्षेत्र बुंगली का बच्चा-बच्चा शोक में डूबा हुआ है।