नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सभी साथियों को खास तौर से युवाओं को एक सुझाव दिया है। पीएम मोदी ने मशहूर फेसबुक पेज द ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए इंटरव्यू में कहा है कि दिवाली के दौरान पांच दिनों के लिए वह “जंगल में कहीं चले जाते थे, ऐसी जगह जहां केवल साफ पानी होता है और कोई मनुष्य नहीं होता।”
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यही कारण है कि मैं सभी लोगों से खासकर अपने युवा दोस्तों से अनुरोध करता हूं कि वे अपनी भागमभाग एवं अति व्यस्त वाली जिंदगी से कुछ समय अपने लिए निकालें…वे अपने बारे में सोचें और आत्मचिंतन करें। ऐसा करने से आपकी सोच बदल जाएगी। आप खुद को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।’
उन्होंने कहा, “ऐसा करने से आने वाले समय में आपको लाभ होगा। मैं हर एक को ये याद दिलाना चाहता हूं कि आप आसाधारण हो और आपको रौशनी के लिए बाहर झांकने की जरूरत नहीं है, वह पहले से आपमें है।
पीएम मोदी ने इंटरव्यू में अपने आरएसएस के प्रति झुकाव, अपने बचपन और 17 साल की उम्र में हिमालय में बिताए दो सालों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “हिमालय से वापस आने के बाद, मुझे पता था कि मैं ऐसा जीवन चाहता हूं जो दूसरों की सेवा में बीते। वापस आने के बाद मैं अहमदाबाद आ गया। मैं पहली बार बड़े शहर में था, मेरे जीवन की गति बहुत अलग थी। मैंने अपने चाचा की कैंटीन में उनकी मदद की।”
पीएम ने कहा, ‘बाद में मैं आरएसएस का पूर्णकालिक प्रचारक बन गया। प्रचारक बन जाने पर मुझे अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से मिलने और अलग-अलग तरीके का काम करने का मौका मिला। हम प्रचारक बारी-बारी से आरएसएस कार्यालय की सफाई, साथियों के लिए चाय एवं भोजन तैयार करने के साथ बर्तन की सफाई करते थे।’
पीएम ने कहा कि प्रचारक बनने के बाद वह व्यस्त हो गए लेकिन उन्होंने ‘अपनी जेहन से हिमालय में मिली शांति के एहसास को कभी जाने नहीं दिया।’ उन्होंने कहा, ‘इसके बाद मैंने हर साल कुछ दिनों की छुट्टी लेने का फैसला किया ताकि मैं आत्ममंथन और जीवन में संतुलन ला सकूं।