रूद्रप्रयाग एक अतिसंवेदनशील जिला है, जिसके बारे में शासन से लेकर प्रशासन तक को पता है। लेकिन इस अतिसंवेदनशील क्षेत्र के लिए ना ही हमारी सरकार संवेदनशील नजर आ रही है और ना ही प्रशासन।
इसकी बानगी हमें तब देखने को मिली जब आपदा प्रबंधन विभाग के पास आपदा से निपटने के लिए स्तेमाल में लाए जाने वाले उपकरणों को लाने व ले जाने तक के लिए भी वाहन नहीं है। अब ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि खुदा न खास्ता जिले में कोई भी आपदा आ जाती है तो शासन और प्रशासन के भरोसे न बैठे रहें।
विभागीय और शासन के यह हाल हैं कि विभाग के पास ना तो आपदा में स्तेमाल किए जाने वाले वाहनों को ठीक करवाने के लिए पैसे हैं और ना ही शासन उनको ठीक करवाने के लिए पैसा दे पा रही है जिसके कारण आपदा विभाग की गाडी सड़क पर धूल फांक रही है और विभाग को दूसरे विभागों पर निर्भर होना पड़ रहा है।
बता दें कि रूद्रप्रयाग प्रदेश का सबसे संवेदनशील जिला है जहां बीती 6 दिसम्बर को आए भूकंप का केंद्र बताया गया था। जिस प्रकार भूवैज्ञानिकों ने 2018 में प्रदेश भर में बड़े भूकंपों के आने की भविष्यवाणी की है, उसमें तो शासन-प्रशासन को और भी गंभीर होना चाहिए था, लेकिन यहां तो इसका उलट ही देखने को मिल रहा है जो प्रदेश का एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य दर्शाता है।