नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद पॉल्यूशन और दम घोंटती आबोहवा से निजात पाने के लिए दिल्ली सरकार ने कड़ा कदम उठा लिया है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि परिवहन विभाग ने राजधानी में रजिस्टर्ड 1.10 करोड़ गाड़ियों में से 40 लाख गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन खत्म कर दिया है। इनमें 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल और 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल गाड़ियां शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की थी कि दिल्ली में इतने ज्यादा पुराने वाहनों के चलने पर पाबंदी लगाने के एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के 2015 के आदेशों पर अभी तक अमल नहीं किया गया है।
जस्टिस मदन बी लोकूर, जस्टिस एम एम शांतागौडार और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच को सेन्ट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने भी सूचित किया कि प्रदूषण के बारे में शिकायत दर्ज कराने के लिये फेसबुक और ट्विटर पर सोशल मीडिया अकाउन्ट खोल दिये गये हैं। बेंच ने बोर्ड को निर्देश दिया था कि सोशल मीडिया पर ये अकाउन्ट खोले जाने का प्रचार किया जाये और इसके लिये विज्ञापन दिये जाएं, ताकि जनता को इसकी जानकारी मिल सके और वह अपनी शिकायतें दर्ज करा सके।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील से कोर्ट ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 7 अप्रैल 2015 को दिल्ली-एनसीआर में 15 साल पुराने पेट्रोल गाड़ियों और 10 साल पुराने डीजल गाड़ियों पर पाबंदी लगाने के निर्देश दिये थे। यही नहीं, ऐसे वाहनों पर पाबंदी लगाने के ट्रिब्यूनल के निर्देशों के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने मई 2015 में खारिज कर दी थी।
बेंच ने कहा, साढ़े तीन साल बीत गये लेकिन ऐसा लगता है कि एनजीटी के आदेश और सुप्रीम कोर्ट द्वारा उस आदेश की पुष्टि के बाद भी उनपर अभी अमल नहीं हो रहा है। दिल्ली सरकार के वकील से कहा गया है कि वह अपने मुवक्किल को तत्परता से कार्रवाई करने की सलाह दें। दिल्ली सरकार की नुमाइंदगी कर रहे वकील वसीम कादरी ने बेंच से कहा कि इस तरह की गाड़ियों को दिल्ली की सड़कों पर चलने की इजाजत नहीं दी जायेगी।