देहरादूनः हिमालय के नंदा देवी पर्वत पर करीब 17 दिन से रेस्कयू कार्य में जुटी आईटीबीपी की टीम को बुधवार सफलता हासिल हो गई है। जवानों ने कड़ी मशक्कत के बाद पर्वतारोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आकर जान गंवाने वाले सातो पर्वतारोहियों के शवों को खोजकर पिथौरागढ़ पहुंचा दिया है। बताया जा रहा है कि पंचनामा भरने के बाद शवों को हल्द्वानी जिला अस्पताल में रखा जाएगा। उसके बाद सभी पर्वतारोहियों के शवों को दिल्ली भेजा जाएगा।
बता दें कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस के 18 हिमवीरों की टीम सात पर्वतारोहियों के शवों को निकालने के काम में जुटी थी। हिमवीरों ने चार पर्वतारोहियों के शवों को सोमवार को 18900 फीट की ऊंचाई तक पहुंचाया था। मंगलवार की सुबह पहले तीन शवों को तीन किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई तय करके लाया गया। इसके बाद सातों शवों को 17800 फीट ऊंचाई पर स्थित बेस कैंप- दो तक पहुंचाया गया। इसके बाद वहां से शवों को 16500 फीट की ऊंचाई पर स्थित बेस कैंप की ओर लाया गया।देर शाम तक शवों को बेस कैंप वन की ओर लाने की कार्रवाई जारी थी। मौसम ठीक होने पर बुधवार की सुबह सभी शवों को हेलीकाप्टर से पिथौरागढ़ लाया गया। खास बात यह है कि यह बेहद मुश्किल ऑपरेशन हिमालय की करीब 21,000 फीट की ऊंचाई पर किया गया। इस पर्वतारोही दल में कुल 12 लोग शामिल थे जिनमें 11 विदेशी नागरिक थे और एक भारतीय नागरिक था। इन विदेशी नागरिकों में 08 ब्रिटिश, 2 अमेरिकी और एक ऑस्ट्रेलियाई मूल का शामिल था।
बता दें कि 13 मई को मुनस्यारी से नंदादेवी ईस्ट के लिए गए ब्रिटेन निवासी मार्टिन मोरिन, जोन चार्लिस मैकलर्न, रिचर्ड प्याने, रूपर्ट वेवैल, अमेरिका के एंथोनी सुडेकम, रोनाल्ड बीमेल, आस्ट्रेलिया की महिला पर्वतारोही रूथ मैकन्स और इंडियन माउंटेनियरिंग फेडरेशन के जनसंपर्क अधिकारी चेतन पांडेय पर्वतारोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आने से लापता हो गए थे।