देहरादून: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में नए-नए चौकानें वाले खुलासे हो रहे हैं। फर्जीवाडे के लिए दलालों ने कागजों से ऐसा खेल खेला कि, इनसे हर कोई हैरान है। दरअसल प्रोफेशनल कोर्स में अच्छी छात्रवृत्ति मिलती है। इस कारण दलालों ने कई क्षेत्रों में घूमकर लोगों के दस्तावेज जमा किए। वहीँ जाँच में खुलासा हुआ कि, जिन लोगों के दस्तावेज छात्रवृत्ति के लगाए गए उनमें से कई अनपढ़ तो कुछ पांचवीं के बाद स्कूल ही नहीं गए। ऐसे लोगों को प्रवेश अधिवक्ता, वकील, इंजीनियर, फार्मेसी, आईटीआई और पॉलीटेक्निक और मैनेजमेंट के प्रोफेशनल में दर्शा दिए।
पहले चरण में प्रदेश के बाहर के संस्थानों की जांच चल रही है। 350 निजी संस्थानों में पढ़ने वाले जिले के करीब 4000 छात्रों का एसआईटी सत्यापन कर रही है। 2011 से 2015 के बीच छात्रवृत्ति लेने वाले करीब दो हजार छात्रों का सत्यापन हो चुका है।
बता दें कि, समाज कल्याण विभाग की ओर से चलने वाली दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अदर बैकवर्ड कास्ट और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को प्रोफेशनल कोर्स करने पर छात्रवृत्ति मिलती है। इसी का गलत तरीके से दलालों ने लाभ उठाकर लाखों की रकम हड़प ली।