नैनीताल: हाईकोर्ट ने पिथौरागढ़ जिले के सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों को दैनिक आवश्यकता की चीजों को 24 घंटे में मुहैया कराने के निर्देश सरकार को दिए हैं। साथ ही न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह सीमावर्ती गावों में भारत तिब्बत सीमा पुलिस के साथ समन्वय बनाकर इस आदेश का पालन कराएं, साथ ही वायु सेना की मदद भी लें।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार धारचूला निवासी महेंद्र सिंह बुदियाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि पिथौरागढ़ जिले के लमारी, बुंदी, गुंजी, चैयालेख, गर्ब्यांग नपलच्यु नाबी, रोगकोंग, कुटी, कालापानी और नाभीढांग गावों की आबादी लगभग 9000 है। इस क्षेत्र में कोई सड़क नहीं है जबकि इन क्षेत्रों को केवल पखडंडियां ही आपस में जोड़ती हैं और यहां जाने का एकमात्र रास्ता यही है। याचिका में कहा कि 1999 से 2000 के बीच केंद्र सरकार ने सीमांत क्षेत्रों में सड़कों के महत्व को देखते हुए घटियाबागढ़ से लिपुलेख तक चार किलोमीटर मोटर मार्ग का प्रस्ताव स्वीकृत किया था, जिसे बीआरओ द्वारा संचालित कराना था जो अभी तक लंबित है। याचिका में कहा कि वहां हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की गई थी लेकिन उसका किराया 3100/= प्रति व्यक्ति था जो बहुत ज्यादा था और उसे भी बिना किसी नोटिस के बंद कर दिया गया। याचिका में कहा कि संचार और हेलीकॉप्टर सेवा के अभाव में उनके क्षेत्र में अब खाद्य सामग्री और दूसरे रोजमर्रा के जरूरी सामान भी समाप्त हो गए हैं। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिए कि उस क्षेत्र के लोगों को 24 घंटे के भीतर घी, गेहूं, धान, आटा, सब्जी, मसाले, माचिस, पावडर दूध, कंबल और मिटटी का तेल मुहैया कराया जाए। कोर्ट ने इस आपूर्ति को शीतकाल भर जारी रखने को कहा है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को भारतीय वायु सेना से संपर्क कर इस आदेश का अनुपालन करने में मदद लेने को भी कहा है। कोर्ट ने इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।