नई दिल्ली: देहज उत्पीड़न क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फ़ैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर फैसला लिया है कि अब इस क़ानून के तहत महिला की शिक़ायत पर के निपटारे के लिए परिवार कल्याण कमिटी की जरूरत नहीं है। मामले में आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी पर लगी रोक हटाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ित की सुरक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के लिए अग्रिम जमानत का विकल्प खुला है। भारत के चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविल्कर और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने ये फ़ैसला सुनाया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का ये फ़ैसला उनके पिछले साल के दिशा-निर्देशों की तरह ही है।
पिछले साल दहेज प्रताड़ना मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने पिछले साल दिए अपने फैसले में कहा था कि दहेज प्रताड़ना के केस में सीधे गिरफ्तारी नहीं होगी लेकिन इस फैसले के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा था कि दहेज प्रताड़ना मामले में दिए फैसले में जो सेफगार्ड दिया गया है उससे वह सहमत नहीं हैं। दो जजों की बेंच के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने दोबारा विचार करने का फैसला किया था और सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।