नई दिल्ली: बांग्ला फिल्मों के प्रसिद्ध निर्माता और निर्देशक मृणाल सेन का 95 साल की उम्र में निधन हो गया। साल 2005 में भारत सरकार ने उनको ‘पद्म विभूषण’ और 2005 में ‘दादा साहब फाल्के’ अवॉर्ड से सम्मानित किया था। 1955 में मृणाल सेन ने अपनी पहली फीचर फिल्म ‘रातभोर’ बनाई। उनकी अगली फिल्म ‘नील आकाशेर नीचे’ ने उनको स्थानीय पहचान दी और उनकी तीसरी फिल्म ‘बाइशे श्रावण’ ने उनको इंटरनेशनल पहचान दिलाई। उनकी अधिकतर फ़िल्में बांग्ला भाषा में है। मृणाल ने फेमस बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती को फिल्मों में लॉन्च किया था। जिसके लिए मिथुन को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।
Dadasaheb Phalke awardee film maker Mrinal Sen passed away at the age of 95 at his residence today.
— ANI (@ANI) December 30, 2018
मृणाल दा की आखिरी फिल्म ‘आमार भुवन’ साल 2002 में आई थी. उस वक्त मृणाल 80 वर्ष के थे। फिल्मों के अलावा वह राजनीति में भी एक्टिव रहे हैं। 1998 से 2003 तक वे कम्युनिष्ट पार्टी की ओर से राज्यसभा के लिए भी नॉमिनेट किए गए। साल 2000 में उन्हें रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप सम्मान से सम्मानित किया।
साहित्य के लिए नोबेल प्राप्त लेखक गैब्रियल गार्सिया मार्खेज मृणाल दा के खास मित्रों में से हैं। मृणाल दा ने कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म प्रतिस्पार्धाओं में जज/ ज्यूरी की भूमिका निभाई है। कांस को तो वे अपना दूसरा घर बताते रहे हैं। उनके बच्चों की बात करें तो बेटे कुणाल, ‘इंसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका’ में चीफ टेक्निकल डेवलपमेंट ऑफिसर हैं।
उन्होंने कोलकाता में अंतिम सांस ली। उन्हें 1981 में पद्म भूषण और 2005 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मृणाल 1998 से 2000 तक मनोनीत संसद सदस्य भी रहे।
1955 में मृणाल सेन ने अपनी पहली फीचर फिल्म ‘रातभोर’ बनाई। उनकी अगली फिल्म ‘नील आकाशेर नीचे’ ने उन्हें पहचान दी। तीसरी फिल्म ‘बाइशे श्रावण’ ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर दिया।