देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीरो टाॅलरेंस नीति पर अक्सर सवाल खड़े होते रहते हैं। मुख्यमंत्री अपने भाषणों में कई बार कह भी चुके हैं कि गलत काम करने वाले अधिकारियों को राहत कतई नहीं दी जाएगी। सीएम का असर मुख्य सचिव पर भी नजर आने लगा है। उन्होंने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, प्रभारी सचिव और विभागाध्यक्षों को निर्देश दिये हैं कि सरकारी कर्मचारियों के विरूद्ध प्रचलित व लंबित अनुशासनिक कार्रवाई को निर्धारित समय के भीतर निस्तारित करें।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की ओर से जारी पत्र में लिखा है कि अनुशासनिक कार्रवाई के मामलों में समय सारणी का कड़ाई से अनुपालन नहीं किया जा रहा है। अनुशासनिक कार्रवाई के मामलों में देरी हो रही है। इससे इस बात की संभावना बनी रहती है कि कि संबंधित आरोपों को सिद्ध कर सकने वाले साक्ष्य भी मिटाए जा सकते हैं और दोषी सरकारी सेवक दंड पाने से बच जाते हैं। साथ ही अनुशासनिक जांच के लंबे समय तक चलते रहने से आरोपित सरकारी सेवक के पदोन्नति आदि के सेवा संबंधी मामले लंबे समय तक लटके रहेते हैं।
मुख्य सचिव ने सभी विभागीय सचिवों से इस तरह के मामलों की जांच के लिए नोडल अधिकारी बनाने के भी निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा कि सचिवों को उन अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा विभागीय बैठक में की जानी चाहिए, जो सही ढंग से काम नहीं करते हैं। इसके लिए बाकायदा रजिस्टर बनाने को भी कहा है।