देहरादून: निकाय चुनाव के मद्देनजर इन दिनों प्रदेश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। कोई टिकट न मिलने को लेकर नाराज है तो, कोई अपने चहेतों को टिकट नहीं देने से नाराज है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में टिकटों को लेकर कार्यकर्ता खुल कर नाराजगी जता रहे हैं। दोनों ही पार्टियों के कई पदाधिकारी विरोध स्वरुप अपने पद से इस्तीफ़ा दे रहे हैं, तो कई पार्टी ही छोड़ रहे हैं।
इसी क्रम में अब कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता संजय भट्ट ने पद से इस्तीफा देते हुए कांग्रेस पर गढ़वाली समुदाय विरोधी होने का आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को संबोधित कर उन्होंने कहा कि, बड़ा दुखद है कि देहरादून के मेयर पद पर भी वही किया गया, जो आपके कार्यकाल में लगातार चलता आ रहा है। इसके लिए उन्होंने तीन बिन्दुओं पर ध्यान दिलाते हुए कहा है कि, महानगर अध्यक्ष से गढ़वाली को हटाया, परवादून अध्यक्ष पद से गढ़वाली को हटाया व सेवादल प्रदेश अध्यक्ष पद से भी गढ़वाली को हटाया।
उन्होंने आगे कहा है कि, पूर्व में नगर निगम देहरादून के तीन चुनाव हुए और दोनों राष्ट्रीय पार्टीयों ने सिर्फ गढ़वाली समुदाय के व्यक्ति को ही टिकट दिया।
इसका जिक्र करते हुए कहा कि, 2003 में बीजेपी विनोद उनियाल, कांग्रेस मनोरमा शर्मा डोबरियाल (दोनों गढ़वाली), 2008 में बीजेपी विनोद चमोली, कांग्रेस सूरत सिंह नेगी (दोनों गढ़वाली), 2013 में बीजेपी विनोद चमोली, कांग्रेस सूर्य कांत धस्माना (दोनों गढ़वाली) रहे।
वहीँ इस आधार पर उन्होंने पार्टी से सवाल किया कि, 2018 में भी बीजेपी ने सुनील उनियाल गामा को टिकट दिया तो, कांग्रेस ने दिनेश अग्रवाल क्यों चुना। साथ ही उन्होंने सलाह देये हुए कहा कि, अभी भी वक्त है हीरा सिंह बिष्ट को तैयार कीजिये। साथ ही कहा कि, सोशल इंजीनियरिंग का ख्याल राजनीतिक फैसलों में न होना किस तरह से परिपक्वता कही जाएगी।
वहीँ उन्होंने कहा कि, अध्यक्ष जी हम ईवीएम के ऊपर आरोप लगाते हैं, लेकिन इस बार उत्तराखण्ड निकाय चुनाव मतपत्र (बेलेट पेपर) से हो रहे हैं। ऐसे में अगर हम गलत नीतियों, गलत प्रत्याशी चयन के कारण हार गए तो पूरे देश में ईवीएम या मतपत्र की बात पर फिर कुछ न बोल पाएंगे। इसलिए प्रत्याशी सही चुने जाने चाहिए, जो कम से कम अपने कार्यकर्ताओं को अपशब्द ना बोलते हो। साथ ही कहा कि, मेरी जितने भी लोगों, कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों से बात हुई सभी हीरा सिंह बिष्ट को सही उम्मीदवार मानते हैं।
इसके आलावा उन्होंने कहा कि, हारे हुए विधायक प्रत्याशियों के द्वारा पार्षद प्रत्याशी चयन भी गलत है, जो खुद ही हार गए वो सही प्रत्याशी चुनेंगे ये तो उचित प्रतीत नहीं होता। जब संसदीय बोर्ड ने आपको प्रत्याशी चयन के लिए अधिकृत किया तो ये हारे हुए विधायक प्रत्याशी कैसे पार्षद प्रत्याशी चयन कर रहे।
उन्होंने कहा कि, महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा द्वारा प्रेस को यह कहना कि कांग्रेस के पास देहरादून मेयर के लिए 5-6 ही आवेदन हैं, सरासर झूठ है। जबकि कांग्रेस में भी 20 आवेदन हुए थे। दूसरी ओर बीजेपी 20 आवेदन बता कर हमसे बढत ले रही थी। इस पर महानगर अध्यक्ष पर अनुशासनात्मक कार्यवाही होनी चाहिए। संजय भट्ट ने कहा कि, जब मेयर/अध्यक्ष के टिकट पूर्व मंत्री, पूर्व मंत्री की पत्नी, पूर्व मंत्री के बेटे को ही होना है, तो कार्यकर्ता क्या करेगा। और राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांघी की युवा सोच का क्या होगा।
अंत में उन्होने कहा कि, ऐसे में प्रदेश प्रवक्ता के रूप में टीवी चैनलों पर जाकर पार्टी का पक्ष रखना मेरे लिए सम्भव न होगा। इसलिए मुझे इस पद से मुक्ति प्रदान करें।
उन्होंने इसकी प्रतिलिपि राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत, पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय व अध्यक्ष अनुशासन समिति प्रमोद कुमार सिंह को भेजी है।