नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति ने आज सुबह जो पलटी मारी, उससे राजनीतिक दल ही नहीं, बल्कि देश का आम जन भी हतप्रभ रह गया। पिछले कई दिनों से शांत और चुप दिखाई देने वाली भाजपा अंदर ही अंदर ही सत्ता तक पहुंचने का तानाबाना बुन रही थी, किसी को भी इसकी भनक नहीं लग सकी। खैर, अब महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बन गई है, लेकिन अगला सप्ताह पार्टी के लिए अहम रहेगा।
पार्टी को विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करना होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा अब शांत बैठने वाली नहीं है। सारी ताकत लगाकर महाराष्ट्र की सरकार को बचाया जाएगा। इस स्थिति में यह हैरानी वाली बात नहीं होगी कि आने वाले दिनों में शिवसेना और कांग्रेसी विधायकों में भी टूट हो जाए। इन दोनों पार्टियों में सेंध लगने का खतरा बना रहेगा।
सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस पार्टी अपने विधायकों को टूट से बचाने के लिए उन्हें मध्यप्रदेश और राजस्थान भेजने की तैयारी कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चौधरी का कहना है कि महाराष्ट्र में 288 विधायकों वाले सदन में भारतीय जनता पार्टी के पास अपने 105 विधायक हैं। सरकार नियमित तौर पर चलती रहे, इसके लिए उसे 145 विधायकों का समर्थन चाहिए। भाजपा दावा कर रही है कि उसके पास पर्याप्त बहुमत है।
एनसीपी के 54 विधायकों में से अधिकांश का समर्थन मिलने की बात भी भाजपा कर रही है। यदि एनसीपी के 10-12 विधायकों को निकाल दें तो भी भाजपा बहुमत जुटा सकती है। भाजपा को अजीत पवार के 35 और करीब 13 निर्दलीय विधायकों का साथ मिल जाए तो सरकार को कोई खतरा नहीं रहेगा। चूंकि यह क्लोज मामला बन जाता है, इसलिए भाजपा शांत बैठने वाली नहीं है। वह सारी ताकत लगाकर फडणवीस सरकार को आगे ले जाएगी।