रुद्रप्रयाग: मरीजों को इलाज के लिए सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने और बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने की पीएम मोदी की कल्याणकारी योजना ‘जन औषधि केन्द्र’ जिले में दम तोडती नजर आ रही है। स्थिति यह है कि अगस्त्यमुनि में संचालित केन्द्र बन्द हो चुका है और जिला चिकित्सालय में संचालित केन्द्र पर भी ताले लगने की नौबत आ चुकी है। जनवरी माह से संचालित केन्द्र से अभी तक महज 135 मरीज ही सस्ती दवाइयां खरीद पाये हैं। जबकि अस्पताल में हर रोज तीन सौ से अधिक मरीजों की ओपीडी दर्ज रहती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी तंत्र में मोटे स्तर पर कमीशनबाजी के चलते इन केन्द्रों का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे आज भी गरीब लोग या तो दवाइयों के अभाव में दम तोडने को मजबूर हैं या फिर बाजारों से मंहगी दवाइयां लेने के लिए विवश हैं। गौरतलब है कि आसमान छूती दवाइयों की कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से पीएम मोदी ने सभी बडे सरकारी अस्पतालों में जन औषधी केन्द्रों की स्थापना करवाई। जिसमें फर्माशिष्ट व डाटा एंट्री आपरेटरों को रोजगार दिये जाने का प्राविधान रखा गया। जिले में भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अगस्त्यमुनि व जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग में इन केन्द्रों को स्थापित किया गया। जहां पर कि सस्ते दामों पर दवाइयां उपलब्ध हो रही थी, लेकिन केन्द्र संचालकों का कहना है कि चिकित्सकों द्वारा मरीजों से बाहरी मेडिकल स्टोरों से दवाइयां मंगाई जा रही हैं जिससे केन्द्रों पर दवाई खरीदने कोई भी मरीज नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि दवाइयों की खपत ना होने से अगस्त्यमुनि केन्द्र बन्द हो चुका है और जिला अस्पताल के केन्द्र की हालत यह है कि यहां पर एक जनवरी से लेकर अभी तक महज 135 मरीज ही दवा लेने आये जबकि 17 फरवरी से लेकर आज तक कोई भी मरीज केन्द्र पर नहीं पहुंचा। वहीँ सीएमएस डीसी सेमवाल का कहना है कि अस्पतालों में पर्याप्त औषधी उपलब्ध है जिसके कारण मरीज इन केन्द्रों पर नहीं जा रहे हैं।