देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की चतुर्थ बैठक में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने राज्य से संबंधित विभिन्न बिदुओं पर विस्तार से जानकारी दी। त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि वर्ष 2022 तक न्यू इंडिया के लिए उत्तराखण्ड सरकार 25 महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर मिशन मोड़ में काम कर रही है। किसानों की आय को दोगुना करने, पर्वतीय क्षेत्रों से डिस्ट्रेस्ड माईग्रेशन को रोकने व डिजीटल उत्तराखण्ड पर विशेष तौर पर फोकस किया गया है। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के विकास में केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण सहयोग पर प्रधानमंत्री व केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास में जलविद्युत की अहम भूमिका हो सकती है। इस दौरान उन्होंने जलविद्युत ऊर्जा को क्लीन ऊर्जा बताते हुए कहा कि स्वीकृत जलविद्युत परियोजनाओं को बंद किया जाना राज्य के विकास के लिए उचित नहीं है।
मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि पर्वतीय व पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अलग से मंत्रालय का गठन किया जाना चाहिए। यदि ऐसा करना सम्भव न हो तो नीति आयेग में ‘पर्वतीय प्रकोष्ठ’ अवश्य स्थापित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने आपदा की दृष्टि से अति संवदेनशील गांवों के विस्थापन में भारत सरकार से तकनीकी व वित्तीय सहयोग का भी अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में प्रत्येक स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मॉनीटरिंग डैशबोर्ड ‘‘उत्कर्ष‘‘ की स्थापना की गयी है। इस डैशबोर्ड के माध्यम से महत्वपूर्ण योजनाओं और कार्यक्रमों के परिणामों का अनुश्रवण सीधे मुख्यमंत्री के स्तर पर किया जा रहा है। योजनाओं और कार्यक्रमों के भौतिक व वित्तीय प्रगति की मॉनिटरिंग के लिए ई-आंकलन पोर्टल बनाया गया है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। राज्य में एक लैंड होल्डिंग से वर्तमान में औसतन 75 हजार रूपये की कृषि आय अनुमानित है जिसे वर्ष 2022 तक डेढ़ लाख रूपये किया जाना है। इसके लिए विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों की तकनीकी दक्षता का उपयोग किया जा रहा है। क्लस्टर आधारित कार्य योजनायें तैयार की जा रही हैं। प्रदेश की कुल 16 मैदानी मण्डियों को अभी तक ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ा जा चुका है। पर्वतीय मण्डियों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अन्तर्गत वर्ष 2015-16 से 2016-17 तक के प्रथम चरण में 7.5 लाख के लक्ष्य के सापेक्ष 7.65 मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये गये थे। अगले चरण अर्थात् 2017-18 से 2018-19 तक कुल 9.12 लाख स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जाने हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि नदियों को पुनर्जीवित व सदानीरा बनाने के लिए ‘‘जल संचय अभियान’’ के अन्तर्गत जलाशय,जल कुण्ड ट्रेंच, चैक डैम बनाये जा रहे है। कोसी नदी (कुमाऊँ) एवं रिस्पना नदी (देहरादून) के जल संग्रहण क्षेत्र में जन सहभागिता के साथ वृहद् वृक्षारोपण अभियान जुलाई में प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि ‘‘आयुष्मान भारत’’ के अन्तर्गत समस्त उपकेन्द्रों को हैल्थ एण्ड वैलनेस सेन्टर मे उच्चीकृत किया जा रहा है। प्रत्येक सेन्टर में हैल्थ प्रोवाइडर नियुक्त करने हेतु ‘‘ब्रिज प्रोग्राम इन कम्यूनिटी हैल्थ’’ कोर्स प्रारम्भ किया गया है। सुदूर पर्वतीय एवं दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों को टेली मेडिसिन एवं टेली-रैडियोलॉजी सेवायें यथा, एक्स-रे, सीटी स्कैन, एम.आर.आइ एवं मेमोग्राफी की सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के अन्तर्गत पांच लाख अड़तीस हजार परिवार चयनित किये गये हैं।