देहरादून: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के दौरान भाजपा सरकार की गतिविधियों पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की समीक्षा बैठकों को लेकर भाजपा और चुनाव आयोग के रुख पर ही सवाल दाग दिए।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की आपत्ति पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुटकी ली कि हरीश रावत राजी हों तो उनके साथ कहीं घूमने का प्रोग्राम बना लें, वह उनके साथ चले जाएंगे। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फेसबुक पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की समीक्षा बैठकों को लेकर टिप्पणी की।
उन्होंने कहा कि सामान्यत: संसाधन बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री, विभागीय अधिकारियों की बैठक करें और उसे प्रचारित, प्रसारित करें तो हमें कोई एतराज नहीं होना चाहिए। हम एतराज कर भी नहीं रहे हैं। आज मुख्यमंत्री केंद्रपोषित योजनाओं को लेकर अधिकारियों की बैठक कर रहे हैं।
अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल का जिक्र करते हुए हरीश रावत ने कहा, उन्हें याद दिलाना चाहूंगा कि जब हमने बहुत बेबसी में चुनाव आयोग से अनुमति मांग कर ऐसी बैठकें की थीं तो भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष ने हमारे इस प्रयास पर गंभीर आपत्ति दर्ज की थी। उन्होंने कहा कि नियम सबके लिए एक होते हैं। मुझे तो काफल पार्टी की अनुमति नहीं मिल पा रही है और सरकार में बैठे लोगों को अपनी और केंद्र सरकार की पीठ थपथपाने की अनुमति मिल रही है। उन्होंने टिप्पणी की, ‘वाह चुनाव आयोग!’ कब आप स्वत: स्फूर्त कदम उठाएंगे।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा आचार संहिता के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की बैठकों पर एतराज जताने के मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुटकी ली है। उन्होंने कहा कि हरीश रावत राजी हों तो उनके साथ कहीं घूमने का प्रोग्राम बना लें, वह उनके साथ चले जाएंगे। उनके साथ देहरादून, उत्तराखंड छोड़ कर जाने को तैयार हैं, वह कोई प्रोग्राम तो बनाएं।
जिसके बाद फिर हरीश रावत ने कहा कि, ”धन्यवाद त्रिवेंद्र जी, आपने मुझे घूमने का दावतनामा दिया है। मुझे स्वीकार है मगर जरा मोदी जी और अमित शाह जी से ये पूछ लीजिएगा, कहीं मेरे साथ घूमते रहे और उन्होंने आपको चलता कर दिया!! मैं तो आपका हितैषी हूं, रावत पूरे 5 साल वाला। इसलिए आप पूछ लीजिए पहले, मैं घूमने के लिए तैयार हूं। कांग्रेस परहेजवाद की राजनीति नहीं करती है, कांग्रेस स्वीकार्यता की राजनीति करती है, कांग्रेस गले लगाने की राजनीति करती है, कांग्रेस समावेशी राजनीति करती है। लगता है आपके डीएनए में भी कुछ-कुछ कांग्रेसवाद है!”