देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विधानसभा में मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि, पिछले 70 वर्षों से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों ने काफी प्रगति की है। लेकिन अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कुछ लोग अभी भी सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। इनको भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है। जिससे अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से भी मजबूती मिल सके।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि संविधान के निर्माताओं ने परिकल्पित समावेशी स्वरूप को बनाये रखने की दृष्टि से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण को अन्य दस वर्षों अर्थात् 25 जनवरी 2030 तक के लिए जारी रखने का प्रस्ताव किया गया है।
संविधान के अनुच्छेद 334 के अनुसार, लोक सभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के स्थानों के लिए आरक्षण संबंधी उपबंध किया गया था, लेकिन इन उपबंधों का विस्तार न होने के कारण यह उपबंध 25 जनवरी 2020 को अप्रभावी हो रहा था। इसलिए इस उपबंध को दस वर्षो तक जारी रखने के लिए लोकसभा में पारित इस प्रस्ताव को राज्य में लागू करने के लिए राज्य सरकार संकल्पित है और राज्य के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण संबंधी प्रस्ताव को राज्य विधानसभा ने जारी रखने का पूर्ण रूप से समर्थन किया है।