प्रदीप रावत (रवांल्टा)
उत्तराखंड आहा…हमारी देव भूमि। यहां देवताओं का वास है, लेकिन पहाड़ के हर गांव में लोगों के अपने पर्सनल भूत भी रखे रहते हैं। जब भी कोई परेशान करता है। जब अंत पर आ जाती है, तब पहाड़ के लोग देवता छोड़…अपने भूत की शरण में जाते हैं। घात डालने…। पिछले कुछ दिनों से तो ऐसा ही लग रहा है बल कि अब भूत के पास जाने का वक्त आ गया है। वैसे भी ये कलजुग है बल…। सीएम साहब को भी देवताओं का भरोसा छोड़कर अब अपने गांव के भूत के पास जाना चाहिए। सुनो साहब…भूत ना सही तो पितरों की जरूर-जरूर जाइये। शायद पितर आप पर आए संकट को टाल पाएं। लाड़ी-झमाड़ी को हटा पाएं। बेचारे सीएम साहब की आजकल माड़ी चाल आ रही है। ग्रह-चाल भी कुछ ठीक नहीं लगती बल। सोशल मोडिया वाले भी कुछ भी बोल और लिख मारते है…। बोल रहे हैं…कहीं ये उत्तरा दीदी के श्राप का असर तो नहीं…?
हे भगवान…बद्री विशाल…केदार बाबा…गंगा मैया…यमुना मैया। सीएम साबह पर लगे दोष को टाल दो। माना कि वो, जो लोग कह रहे हैं, वही हैं। अब मुझसे नहीं पूछना कि क्या बोल रहे हैं। अरे आपको तो मुझसे ज्यादा पता है। कुछ भी हो उनकी कुर्सी नहीं हिलनी चाहिए। बेचारे। मैं नहीं बोल रहा। कांग्रेसी चाह रहे हैं। मैं तो उनकी तरफ से बोल रहा हूं। वो भीतर-भीतर सीएम पर लगा भूत और श्राप का दोष छुड़ाने के लिए मन्नत मांग रहे हैं बल। ये भी मैंने सुना ही है। अपने आप से नहीं बोल रहा।
सीएम पर तो पहले ही दोष लग गया। लगता है…शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे पर भी उसकी काली छाया पड़ गई है। पहले कह रहे थे कि उत्तरा दीदी मुझे माफ कर दो और जब माफी मांगने की बारी आई तो मुकर गए। सीएम साबह की तो नींद उड़ गई। बेचारे पांडे जी का पता नहीं क्या उड़ेगा। एक मुन्ना भाई हैं। उनसे अपना तो संभल नहीं रहा। दूसरों के काम में टांग दे रहे हैं। मुन्ना भाई संभल जाओ। वरना आप पर भी दोष लग जाएगा। आप ये ना समझें कि महासू देवता आपको बचा लेंगे। इस बार तो वो भी कुपित हैं।
इस निर्भागी उत्तराखंड में रहने वाले लोगों का तो भाग ही नहीं। जब देखो कोई ना कोई ढंगार में गाड़ी गिरने से परलोक सिधार जाता है। उसमें सरकार का क्या दोष जो सड़क नहीं बनी। वो सरकार का काम थोड़े है। सड़क तो विभाग बनाते हैं। पर मुश्किल ये है कि विभागों पर सरकार का भूत लगा हुआ है और वो उस भूत को नचा भी नहीं रहे। बजट का भूत। पैसा दिया नहीं, तो सड़क क्या खाक बनेगी।
बेचारे सीएम साबह का भूत मत पूजो। उनका दोष नहीं है। वो तो बस पीडब्ल्यूडी विभाग के मालिक हैं। विभाग को तो उनके खास संतरी ओमकार अरे गलत हो गया, कोई बात नहीं आप तो समझदार हैं ना। समझ लो की कौन दौड़ा रहा है। हेलीकाॅप्टर सेवा पर भी पैसों का भूत लगा है। बिना पैसे मिले उनका पंखा ही नहीं हिल पाता। और मैंने सुना है कि ये भूत ओमप्रकाश ने लगाया है। भूत तगड़ा है। उसको भगाने के लिए ही उड़नखटोले वाले ने उड़ने से मना कर दिया। वो कह रहा था कि पहले पैसों का भूत उतारो। फिर उड़ान भरूंगा। उसकी बला से कोई मरे तो मरे। जब तक पैसों का भूत नहीं उतर जाता। वो अपनी जगह से नहीं हिलेगा।