न सीएम, न मंत्री और ना ही आयुक्त की, एमडीडीए चलती है तो सिर्फ मनमर्जी की! 

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पूर्णिमा मिश्रा, देहरादून: मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण अब सबसे बड़ा होता दिखाई देने लगा है। सबूतों के अनुसार यह ही आकलन लगाया जा सकता है कि एमडीडीए के सचिव और उपाध्यक्ष के लिए ना तो सीएम, न विभागीय आयुक्त और ना ही शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के आदेशों की कोई अहमियत है। जिसके कारण विभाग की कार्य प्रणाली पर कई सवालिया निशान लगना लाजमी है। जिसका परिणाम यह है कि यहां आए ऐसे कई मामले हैं जो कई सालों से पेंडिंग पड़े हुए हैं।

विभाग के पास एक दिन में दर्जनों से अधिक लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं। जिनमें से एक पुनीत गांधी भी शामिल हैं। जो पिछले 6 सालों से सरकारी सड़क से अतिक्रमण हटाने और अनाधिकृत निर्माण के खिलाफ कारवाई करने के लिए एमडीडीए के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

हैलो उत्तराखंड न्यूज़ में पुनीत गांधी का कहना है कि एमडीडीए द्वारा उपरोक्त दोनों मामलों पर 6 सालों से कारवाई ना करने की वजह से उनके पड़ोसी पूनम सिंह और सत्य प्रकाश सिंह की मनमर्जी इतनी बढ़ गई है कि अब वे अपने मकान नम्बर 7, लेन नम्बर 9, दशमेश विहार, रायपुर रोड में तीन मंजिलों का अत्यंत असुरक्षित निमार्ण कर रहे हैं। जिसमें एमडीडीए द्वारा अप्रूवड मैप से बहुत अतिरिक्त निर्माण कार्य किया गया है जिसका एक हिस्सा अत्यन्त ही असुरक्षित है।

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पुनीत गांधी का कहना है कि उन्होंने इसके खिलाफ एमडीडीए में 12.5.2017 को ऑनलाइन ग्रीवेंस रिपोर्ट (Grievance Report)  दायर की गई थी लेकिन असुरक्षित निर्माण जैसे अत्यंत गंभीर मामले में 7 माह में 8 बार स्थल का निरीक्षण करने के बाद भी कोई कारवाई करना तो दूर, एमडीडीए द्वारा इस स्थल की स्पष्ट तस्वीरें भी फ़ाइल में नहीं लगाई गई है और ना ही सभी खामियों की विस्तृत रिपोर्ट बनाई गई है जो अपने आप में कई सवाल खड़े करता है:-

आखिर इतने संवेदनशील मामले में कोई भी कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है?

क्यूँ 8 बार भवन का निरिक्षण करने के बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है?

यदि निर्माण सही है और असुरक्षित निमार्ण नहीं है तो फिर क्यों इस मामले को लटकाया जा रहा है?

एक बार भी यह नहीं बताया या लिखित में दिया गया है कि निर्माणाधीन मकान सुरक्षित है भी या नहीं?

विभागीय हालात यह हैं कि विभाग द्वारा ऐसे गंभीर मामले पर स्ट्रक्चर इंजीनियर से सेफ्टी सर्टिफिकेट ले कर जल्द से जल्द कारवाई करने के बजाए मामले को और खींचा जा रहा है।

गौरतलब है कि साल 2018 उत्तराखंड के लिए भूकंप का जोन माना जा रहा है। कई वैज्ञानिकों ने 2018 में कई खतरनाक भूकंप आने की भी भविष्यवाणी की है। जो तस्वीरें हम आपको दिखा रहे हैं इससे यही प्रतीत होता है कि  मकान मालिक ने तीन मंजिला मकान का एक हिस्सा केवल घर की बाउंड्री वाल के कॉलम को बड़ा करके ही बना दिया है। अब ऐसे में मकान यदि बाउंडरी वॉल की कम गहरी नींव पर ही निर्भर है तो यह किसी भी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकता है। लेकिन  एमडीडीए के अधिकारियों को किसी की जान माल की कोई परवाह नहीं। और कार्यवाही के नाम पर सिर्फ फाइलों को इस अधिकारी के हाथ से लेकर उस अधिकारी के हाथों में नचाये जा रहे हैं।

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हैरत कर देने वाली बात तो यह है कि इस मामले मे एमडीडीए के सचिव और उपाध्यक्ष को कई बार विभागीय आयुक्त, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक और सीएम द्वारा अतिशीघ्र उचित कारवाई करने के लिखित आदेश दिए गए हैं लेकिन सात माह के बाद भी असुरक्षित निर्माण के इस मामले का अंतिम निस्तारण नहीं किया गया है।

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स्पष्ट है कि एमडीडीए जिन अधिकारों और जिन जिम्मेदारियों के लिए बनाया गया, वो अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के बजाए दोनों पक्षों में आपसी बैर का मामला बता कर अपना पलड़ा झाड़ रहा है, और साथ ही नसीहत भी दी जाती है मामले को लेकर कोर्ट में जाएँ। लेकिन अगर यह सब मामले कोर्ट ने ही सुलझाने है तो फिर इन पीसीएस और आईएस स्तर के अधिकारियों की विभाग को क्या ज़रूरत?

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