देहरादून: आगामी यात्रा सीजन के दौरान होने वाली केदारनाथ हेली सेवा कम्पनियों के लिए उत्तराखंड सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग के द्धारा टेंडर जारी किया गया। टेंडर की विभिन्न शतों में से एक शर्त यह भी है कि केदारघाटी में उडान भरने के लिए हैलीकॉप्टर 10 साल से पुराना नहीं होना चाहिए। इस मानक से दोहरा मापदंड प्रदेश की जनता के सामने आया है, आपको बता दें कि जिस त्रिवेंद्र सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए यह कदम उठाया है, उसी सरकार के उन अधिकरियों को शायद टेंडर बनाते समय ये भी मालूम नही रहा होगा कि, जिस हेलीकॉप्टर में मंत्री उड़ते हैं वह 15 साल पुराना है। इतना ही नहीं जब मुख्यमंत्री के सरकारी हेलीकॉप्टरों में कुछ भी तकनीकी परेशानी या किसी अन्य कारण से सरकारी हेलीकॉप्टर उपलब्ध नहीं हो पाते हैं, तो ऐसे में मुख्यमंत्री 15 से 20 साल पुराने हेलीकॉप्टरों में उड़ान भर देते हैं। खास बात ये है कि पूर्व मुख्यमत्री हरीश रावत से लेकर जितने भी कैबिनेट मंत्रियों को हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता होती है, वो भी 15 से 20 साल पुराने हेलीकॉप्टरों से ही उड़ान भरनी पड़ती है।
आपको बता दें कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन विभाग (DGCA) देश में एक मात्र ऐसी रेगुलेटरी है, जो हेलीकॉप्टर से लेकर हर तरह के जहाजों को रेगुलेट करती है और हर हैलीकॉप्टर को मेन्टेनेन्स के आधार पर उड़ान योग्यता प्रमाण पात्र जारी करता है। जिससे पूरे भारत में हेलीकॉप्टरों का संचालन होता है। उसकी शर्तों को दरकिनार कर प्रदेश का नागरिक उड्डयन विभाग अपनी शर्तें कैसे थोप सकता है, ये एक बड़ा सवाल बना हुआ है। इससे साफ पता चलता है कि टेंडर की शर्तें ऐसी बनाई गई कि 10 साल से पुराने हेलीकॉप्टर हैं उन्हें टेंडर की दौड़ से बाहर बाहर रहा जाएं। आपको बता दें कि देश में कुछ ही ऐसे ऑपरेटर होंगे, जिनके हेलीकॉप्टरों को 10 साल से कम समय हुए हैं।
सत्ता के गलियारों से लेकर और केदारघाटी में यह एक चर्चा का विषय बना हुआ है कि जब मुख्यमत्री 15 साल पुराने हेलीकॉप्टरों में उड़ सकते हैं तो क्यों केदारघाटी में 10 साल पुराने जहाज उड़ान नहीं भर सकते हैं। इससे आम लोगों में भी इस तरह की चर्चा बनी हुई है कि कुछ निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए नागरिक उड्डयन विभाग ने यह टेंडर जारी किया है।
खास बात यह कि टेंडर में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर किसी भी ऐसी शर्त का उल्लेख नही है, जिससे कहा जा सके कि यात्रियों की सेफ्टी, एक्सीडेंट, इंसिडेंट मानकों को लेकर युकाडा गंभीर है। इससे स्पष्ट बात निकल कर ये आ रही है कि सुरक्षा के मानक पर युकाडा ने कोई ध्यान ही नहीं दिया है। सूत्रों बताते हैं कि सुरक्षा के मानक का टेंडर में इसलिए जिक्र नहीं किया है कि जिन कंपनियों को टेंडर देने की तैयारी है, उनके लिए मुसिबतें खड़ी हो सकती है।
वहीँ प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र रावत जहाँ सर्वजनिक रूप से अधिकारीयों को लापरवाही न बरतने की बात करते हों लेकिन, नागरिक उड्डयन विभाग जो उनके पास है, उसके टेंडर में अधिकारीयों के द्वारा कई लापरवाहियां बरती गई हैं, लेकिन सीएम चुप्पी साधे हुए हैं, जो अपने आप में एक बड़ा सवाल है।