नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर जिस तरह से यौन शोषण का आरोप लगा है, उसके बाद से लगातार सीजेआई विवादों में हैं। विवादों को बढ़ता देख जस्टिस गोगोई ने जस्टिस एस ए बोबड़े से कहा है कि वह इस मामले में अगला कदम उठाने को लेकर फैसला लें। बता दें कि जस्टिस बोबड़े सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार सोमवार को इस बाबत सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच एक बैठक भी हुई है, जिसमे जस्टिस गोगोई ने इस मसले पर अपनी बात रखी। जिसके बाद उन्होंने इस मामले को जस्टिस बोबडे के सुपुर्द कर दिया।
अगले सीजेआई बन सकते हैं जस्टिस बोबडे
गौरतलब है कि जस्टिस बोबडे नवंबर माह में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं। जस्टिस गोगोई विवाद उस वक्त और बढ़ गया जब दो वकीलों ने कहा कि इस प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को मिलकर फैसला लेना चाहिए। पिछले शनिवार को सीजेआई ने अपने उपर लगे आरोपों पर बैठक की थी। महिला ने आरोप लगाया था कि जब वह जस्टिस गोगोई के घर पर काम करती थीं तो उनके साथ यौन शोषण किया गया था।
पीड़िता का आरोप
पीड़ित महिला ने आरोप लगाया कि पिछले वर्षऱ अक्टूबर माह की यह घटना है, जब उसने इसका विरोध किया तो उसे नौकरी से निकाल दिया गया और उसके पति और भाई को सस्पेंड कर दिया गया। दोनों ही दिल्ली पुलिस में बतौर कॉस्टेबल तैनात थे। इस मामले में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच में शामिल जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मुझपर यह आरोप बड़ी ताकत द्वारा लगाए गए हैं जिससे की न्यायपालिका को कमजोर किया जा सके, मैं इन आरोपों को खारिज करके अपने स्तर को नीचे नहीं गिरा सकता।
मूलभूत भावना के खिलाफ
बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन की एग्जेक्युटिव कमेटी ने कहा कि 20 अप्रैल को कोर्ट का सेशन इसकी मूलभूत भावना और प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। बार की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को सीजेआई पर लगे सभी आरोपों को अगली बैठक में ध्यान देना चाहिए, जिसमे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर लगे आरोपों को शामिल किया जाना चाहिए।