पिथौरागढ़: नींबू, माल्टा, चूख, नारंगी जैसे सीट्रस फलों के लिए जानी जाने वाली सोर घाटी में इस बार नींबू प्रजाति के फलों की पैदावार में भारी गिरावट आयी है। साथ ही फलों की गुणवत्ता में भी कमी देखने को मिल रही है। यहाँ मौसम परिवर्तन का असर सीट्रस फलों के उत्पादन पर पड़ा है। यही नही समय से पहले फल लगने की वजह से भी इसकी गुणवत्ता में कमी आयी है।
बता दें कि, नींबू प्रजाति के फलों की पैदावार के लिए ठंडे इलाके अनुकूल माने जाते हैं। हाल के वर्षों में तापमान में वृद्धि होने से इसके उत्पादन पर असर पड़ा है। पिथौरागढ़ के चंडाक, बांस, नाकोट, गोरंग क्षेत्र में नींबू प्रजाति के फलों का खूब उत्पादन होता था। लेकिन अब पुरानी फल पट्टियां लगभग सूख चुकी हैं।
चंडाक के हैदर गार्डन में नींबू प्रजाति के फलों का उत्पादन करने वाले काश्तकार दीदार अहमद बताते हैं कि मौसम परिवर्तन के कारण इस बार सीट्रस फलों के उत्पादन के साथ ही गुणवत्ता में भी कमी आयी है।
वहीं जिला उद्यान अधिकारी मीनाक्षी जोशी का कहना है कि सोर घाटी का मौसम पहले की अपेक्षा ठंडा रहा, लेकिन अब तापमान वृद्धि के चलते सीट्रस फलों के उत्पादन में कमी आयी है। साथ ही उन्होने कहा कि, धारचूला और मुनस्यारी के ठंडे इलाकों में आज भी सीट्रस फलों की अच्छी पैदावार होती है।
एक दौर था जब पहाड़ की वादियां नींबू, माल्टा, नारंगी, मौसमी, चूख, गलगल, गमीरी जैसे फलों से लदी हुई नजर आती थी। लेकिन पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन की वजह से भी अब ज्यादातर फल पट्टियां गायब हो चुकी हैं। गिने-चुने गांवों में ही अब नारंगी, माल्टा के पेड़ बचे हैं। जिन गांवों के लोग पहले टनों के हिसाब से नारंगी और माल्टा की बिक्री करते थे, वहीँ अब यहां के ग्रामीण भी बाजार से इन फलों को खरीद रहे हैं।