बागेश्वर: देश-प्रदेश में सरकार आज डिजिटल इंण्डिया की बात कर रही है। लेकिन ग्रामीण भारत के दर्द को आखिर कौन सुनेगा। क्या थका-थका कर ग्रामीण लोगो की आवाजो को बंद तो नही किया जा रहा है। या तकदीर के भरोसे मरने के लिये छोड दिया गया है। ऐसी कहानी बयां करती जैनकरास के ग्रामीणो की कहानी। जो वर्ष 2000 से गॉव मे सडक के लिये संधर्ष कर रहे हैं, लेकिन प्रशाशनिक आश्वसनो पर जीने को मजबूर ग्रामीणो का दर्द सुनने वाला कोई नहीं।
गाँव के लिये संधर्ष कर रहे ग्रामीणो का कहना है कि 2004 से यहाँ रोड निर्माण का कार्य लटका हुआ है। तब से हमको लगातार टाला जा रहा है। पहले बागेश्वर विघायक ने कहा था कि हमारी सरकार आयेगी तो 2-3 महीने में ही गाँव में रोड आ जायेगी, लेकिन विधायक के वादा खिलाफी से हम परेशान हैं। रोड नही होने से आधा गाँव पलायन कर चुका है। साथ ही कहा कि, कई सालों से हम यहाँ सड़क के लिए आन्दोलन कर रहे हैं, लेकिन सीमान्त क्षेत्र होने के कारण हमारी बातो को नही सुना जा रहा है। प्रशासन पर सवाल खडे करते हुये ग्रामीण कहते हैं कि क्या सीमान्त क्षेत्र मे रहने वाले इंसान नही है। उन्होंने कहा कि, हमारी स्थिति यह हो चुकी है कि कोई गाँव मे बीमार भी हो जाता है। तो सडक तक आने मे दम तोड देता है। ऐसे में अब ग्रामीणों ने कहा कि यदि हमारी मांगे जल्द पूरी नही होती है तो वे जल्द ही आन्दोलन करने को बाध्य होंगे।
वहीं प्रशासनिक तौर पर पीडब्लूडी का कहना है कि आधी रोड का निर्माण किया जा चुका है। शासन स्तर पर फाईल पेंडिंग पडी हुई है। शाशन स्तर से बजट आने पर ही कार्य किया जायेगा। इसके आलावा सड़क जैसे गंभीर समस्या के मामले पर विधायक चनंदन रामदास ने कुच्छ भी कहने से मना कर दिया।