कानपुर: कानपुर में लोकसभा चुनाव में मतदान सम्पन्न कराने को लेकर एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है। चुनाव संपन्न कराने के लिए 19 हजार कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी करने को चुना गया है, जिनमें से कई नेत्रहीन या दिव्यांग हैं। अस्पताल के बिस्तर पर जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे सरकारी कर्मचारी भी चुनाव को लेकर ड्यूटी पर बुलाए गए हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी एल वेंकेंटेश्वर भी चुनाव तैयारियों की समीक्षा करने के लिये कानपुर में मौजूद थे। जहां उन्होने व्यापारियों, उद्योगपतियों, वकीलों, डाक्टरों तथा समाजसेवियों के संगठनों के साथ एक बैठक भी की और उन्हें प्रेरित किया कि लोकतंत्र के इस महापर्व पर उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। इस दौरान उन्होंने मीडिया से भी बात की।
दरअसल, कई सरकारी महकमों ने जिला निर्वाचन कार्यालय को अपने ऐसे कर्मचारी की सूची भेजी गई है जो गंभीर रूप से बीमार आईसीयू में हैं अथवा दिव्यांग हैं। इनमें से कुछ तो नेत्रहीन अथवा व्हील चेयर पर होने के कारण कड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी शामिल होने के लायक भी नहीं हैं। एक नेत्रहीन बैंककर्मी को तो पीठासीन अधिकारी तक बनाने का कारनामा भी कर दिया गया है।
हालांकि इन कर्मचारियों के विभाग प्रमुख ऐसे कर्मचारियों को ड्यूटी मुक्त किये लाने की लिखित गुजारिश कर चुके हैं लेकिन अब तक इनपर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मीडिया द्वारा इस बाबत सवाल उठाये जाने पर कानपुर नगर के जिलाधिकारी भड़क गये। इस पर मुख्य चुनाव अधिकारी ने बात संभालते हुए दिव्यांगों का नाम काटे जाने का तत्काल आदेश पारित किया।