नैनीताल: हाईकोर्ट ने अल्मोडा स्थित चितई गोल्ज्यू मंदिर के चढावे का सदुपयोग मंदिर परिसर एवं उसके आस पास के सौंदर्यींकरण संबंधी श्रद्घालुओं की ओर से विचार व मंदिर समिति को कानूनी स्वरूप दिए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार दीपक रूबाली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि चितई गोल्ज्यू मंदिर पर्वतीय क्षेत्र के लिए एक आस्था का स्तम्भ है। लेकिन पिछले कई वर्षों से इस मंदिर की रख रखाव व श्रद्घालुओं द्वारा चढाये गए धन का उचित उपयोग नहीं हो रहा है। याचिका में कहा कि इसका संचालन कुछ व्यक्तियों द्वारा निजी लाभ के लिए ही किया जा रहा है। मंदिर के पास जो चढावा आता है उसका उपयोग निजी आय की तरह होता है और जो धन राशि यहां विवाद आदि कार्यों से एकत्रित होती है उसका विवरण केवल कुछ लोगों तक ही सीमित रहता है। याचिका में कहा कि पिछले माह हाईकोर्ट ने यह आदेश पारित किया है कि उत्तराखंड के मंदिरों के संचालन के लिए ट्रस्ट एवं जन समितियों का गठन हो ताकि इसमें पारदर्शिता रखी जा सके। याचिका में कहा कि 2011 मंदिर समिति गठित हुई जिसमें एक ही परिवार के सदस्य है। इस समिति का कोई विधिक अस्तित्व नहीं है। इस समिति के नाम का एक बैंक खाता भी है जिसमें 800000 की धनराशि है। इस राशि के उपयोग के लिए एक नई समिति का गठन होना चाहिए जिमें समाज के प्रतिष्ठित नागरिक व चितई ग्राम के उन्य व्यक्ति को भी शामिल किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से प्रार्थना की गई थी कि मंदिर की आय व्यव में पूर्ण पारदर्शिंता होनी चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वहां हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध हो। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।