नैनीताल: हाईकोर्ट ने प्रदेश की समस्त सहकारी व सरकारी चीनी मिलों में कार्यरत कर्मचारियों के पुनरीक्षित वेतनमान जो 2015 से दिया था। उस पर सरकार की ओर से लगाई गई, वहीं इस रोक पर हाईकोर्ट ने फिर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार, चीनी मिल मजदूर संघ डोईवाला देहरादून व छह अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि, उत्तराखंड शासन ने 12 जून 2018 को शासनादेश के तहत प्रदेश की समस्त सहकारी व सरकारी चीनी मिलों में कार्यरत कर्मचारियों के पुनरीक्षित वेतनमान जो 2015 से दिया था, उस पर रोक लगा दी है जो गलत है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया था कि इस शासनादेश के तहत उन्होंने मृतक आश्रितों की नियुक्ति देने की व्यवस्था तथा चिकित्सा प्रतिपूर्ति भत्ता, मकान व बिजली की दरें सरकारी कर्मचारी की भांति करने व अन्य सुविधाओं पर भी रोक लगा दी थी। याचिका में कहा गया था कि यह आदेश वेज बोर्ड 1991 व स्थाई आदेश के प्रावधानों के विरुद्ध और सेवा शर्तों में अवैधानिक परिवर्तन है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सरकार व चीनी मिलों को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।