देहरादून : जनसंघर्ष मोर्चा के अनुरोध पर मुख्य सचिव ने कृषि सचिव को सहायक कृषि अधिकारी में हुए भर्ती घोटाले की जांच के आदेश दिए है। वर्ष 2011 में सहायक कृषि अधिकारी (विकास शाखा) ग्रेड-। की भर्ती में हुई धांधली को लेकर मोर्चा ने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से मुलाकात की थी, जिसके आधार पर मुख्य सचिव ने उक्त प्रकरण की जांच हेतु कृषि सचिव को निर्देश दिये हैं।
जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने बताया कि वर्ष 2011 में कृषि विभाग के आग्रह पर उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद ने सहायक कृषि अधिकारी ग्रेड-। (विकास शाखा) के 85 पदों हेतु विज्ञापन जारी कराया था। उक्त पदों हेतु निर्धारित शैक्षिक योग्यता उत्तर प्रदेश अधीनस्थ कृषि सेवा नियमावली 1993 के अनुसार ‘‘कृषि’’ स्नातक है। बावजूद इस नियमावली के विद्यमान रहते हुए कृषि सचिव ने गैर-जिम्मेदाराना तरीके से उक्त पदों की शैक्षिक अर्हता बिना कैबिनेट की मंजूरी एवं औपचारिकताएं पूरी किये सीधे ‘‘कृषि स्नातकोत्तर’’ कर दी गयी। नेगी ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों ने बीएससी अन्य विषयों से उत्तीर्ण की थी वो भी उक्त पद के लिए अर्ह हो गये, जबकि अभ्यर्थियों को ‘‘कृषि’’ में स्नातक होने के साथ-साथ सम्बन्धित विषय में स्नातकोत्तर होना चाहिए था, अगर नियमावली में संशोधन होता। नेगी ने कहा कि महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि बीएससी यानि स्नातक मात्र तीन वर्ष में पूर्ण होता है जबकि कृषि स्नातक चार वर्ष का कोर्स है तथा एक विशेष कोर्स होता है।
नेगी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीते साल नवम्बर माह में शासन ने एक पत्र के जरिये कृषि निदेशक को निर्धारित शैक्षिक अर्हता ‘‘स्नातक’’ के स्थान पर सम्बन्धित क्षेत्र में स्नातकोत्तर करने सम्बन्धी प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिये जो एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया। जिसके चलते निदेशक ने सही प्रकार से प्रस्ताव बनाकर शासन को प्रेषित किया। नेगी का कहना है कि प्रस्ताव में उल्लेख किया गया कि वर्तमान शैक्षिक योग्यता किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कृषि स्नातक के स्थान पर कृषि में स्नातकोत्तर हो। मोर्चा का कहना है कि सरकार बेरोजगारों के हितों से खिलवाड़ कर रही है।