नैनीताल: उत्तराखंड चारधाम यात्रा (Chardham yatra) पर लंबे समय से लगी रोक पर आज गुरुवार को हाईकोर्ट ने हटा दिया है। चीफ जस्टिस आरएस चौहान व जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने सरकार के शपथपत्र पर सुनवाई करते हुए यह बड़ी राहत दी है।
मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केदारनाथ धाम में 800 भक्त/यात्री, बद्रीनाथ धाम में 1200, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में कुल 400 यात्री जाने की अनुमति दी है। कोर्ट ने हर भक्त या यात्री को कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीन सर्टिफिकेट ले जाना अनिवार्य किया है। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चार धाम यात्रा के दौरान आवश्यकता अनुसार पुलिस फोर्स तैनात करने के भी निर्देश दिए है। भक्त या यात्रा किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।
आपको बता दें कि 26 जून को नैनीताल हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। हालांकि, उस दौरान नैनीताल हाईकोर्ट ने तर्क दिया था कि वैश्विक महामारी के चलते कोरोना संक्रमण से बचाव संबंधी व्यवस्थाएं मुकम्मल नहीं है। जिसके बाद चारधाम यात्रा पर रोक लगी थी। जिसके बाद चारधाम यात्रा को संचालित किए जाने को लेकर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में अधिक समय लगने की वजह से राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी को वापस लिया था और 10 सितंबर को नैनीताल हाईकोर्ट में अनुरोध पत्र दाखिल किया था। जिस पर हाईकोर्ट ने आज 16 सितंबर को सुनवाई करने हुए चारधाम यात्रा पर लगी रोक को हटा दिया है।
ऐसे में अब जल्द ही चारधाम की यात्रा शुरू हो सकती है।