देहरादून:आप इस वर्ष चारधाम यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो यात्रा करने से पहले आपको अपना बजट बढाना होगा। यात्रा में बसों के किराये में भारी भरकम बढ़ोत्तरी हुई है। वहीँ इसके बाद टेक्सियों के किराये में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है।
चारधाम यात्रा से प्रदेश सरकार को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है, यही कारण है कि वर्ष 2013 की भीषण आपदा के बाद से ही सभी सरकारों द्वारा चारधाम यात्रा को पटरी पर लाने के लिए लगातार बड़े प्रयास किये जाते रहे हैं। लेकिन अब बढ़ती महंगाई के कारण चारधाम यात्रा गरीब तीर्थयात्री की पहुँच से दूर होने लगी है, चारधाम यात्रा में बसों का संचालन करने वाली 9 परिवहन कंपनियों को मिलाकर बनी संयुक्त रोटेशन व्यवस्था समिति ने बस किराए में करीब 18 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी पर अपनी अन्तिम मुहर लगा दी है। समिति में शामिल परिवहन कंपनियां डीजल, मोटर पार्ट, चैसेस के बढ़ते दामों और इन्सोरेन्श किश्तों में बढ़ोत्तरी के कारण बसों के किराये में बढ़ोत्तरी की मांग कर रही थी, जिस पर अब संयुक्त रोटेशन व्यवस्था समिति ने अपनी अन्तिम मुहर लगा 18 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी है।
महंगाई की मार से गरीब तबके के बाद अब मध्यम वर्ग के तीर्थयात्री भी इससे अछूते नही रह पायेगे। बसों की जगह टैक्सी के जरीए भगवान के दर्शन की अभिलाषा रखने वाले तीर्थयात्रीयों पर भी मंहगाई की मार पड़ना तय है। संयुक्त रोटेशन व्यवस्था समिति द्वारा बसोें के किराये में 18 प्रतिशत की बढोत्तरी के बाद अब ट्रैक्सीयों के किराये में भी भारी बढ़ोत्तरी के संकेत मलने लगे है। टैक्सी मालिक भी अब चारधाम यात्रा के लिए 15 से 20 प्रतिशत किराया बढ़ाने की मांग करने लगे है जल्द ही यूनियन की बैठक होने के बाद इस पर अन्तिम मुहर लग सकती है।
तीर्थयात्रियों पर अचानक बढ़े इस भारी भरकम बोझ से जहां परिवहन कम्पनीयाॅ आवश्यक बता रही हैं। वही दूसरी ओर 6 महीने तक चारधाम यात्रा के तीर्थयात्रीयों का इन्तजार करने वाले व्यापारीयों में निराशा दिख रही है। व्यापारियों का मानना है कि तीर्थयात्री सिमित बजट लेकर चारधाम यात्रा में आता है। ऐसे में 18 प्रतिशत किराया बढ़ने से चारधाम तीर्थयात्रीयों की संख्या में कमी आ सकती है।
संयुक्त रोटेशन व्यवस्था समिति के किराया बढाने के फैसले के बाद से अब तक सरकार और परिवहन विभाग ने चुप्पी साधी हुई है। ऐसे में तीर्थयात्रीयों को पर 18 प्रतिशत किराया वृद्धि का भार पड़ना तय है। बहरहाल अब देखना होगा कि इस सबके बावजूद सरकार तीर्थयात्रीयों के संख्या में बढ़ोत्तरी के सपने को कैसे साकार कर पाती है।