रूद्रप्रयाग: चारधाम सड़क परियोजना का कार्य तेजी से इन दिनों संचालित हो रहा है और शहरी क्षेत्रों में प्रशासन भवनों को तोड़ने के नोटिस जारी कर चुका है। जिसको लेकर भवन स्वामी स्वयं ही अपने घरों व प्रतिष्ठानों को तोड़ रहे हैं। इसके विरोध में रुद्रप्रयाग में चल रहे क्रमिक अनशन में बडी संख्या में परियोजना से भावित लोग भी जुटने लगे हैं। इतना ही नहीं इसकी आंच चमोली जनपद में भी सुलगने लगी है।परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति के पदाधिकारी अन्य जनपदों के प्रभावितों व व्यापार संघों से वार्ता कर आंदोलन को बृहद करने की रणनीति बना रहे हैं। साथ ही सरकार से मुआवजे की मांग भी कर रहे हैं।
दरअसल, सरकार ने साफ किया है कि जो भी भवन व व्यापारिक प्रतिष्ठान सरकारी भूमि पर बना होगा उसको किसी भी तरह का मुआवजा नहीं दिया जायेगा। इस दायरे में अकेले रुद्रप्रयाग शहर के करीब 419 प्रभावित आ रहे हैं और इसी तरह तिलवाडा, रामपुर, सिल्ली, गुप्तकाशी समेत कई कस्बे के प्रभावित सरकारी पेंचों में फंसे हुए हैं।
प्रभावितों का कहना है कि परियोजना का कोई भी विरोध नहीं है लेकिन पीड़ियों से शहर के किनारे अपने प्रतिष्ठान बनाकर व्यापार करने वाले व आवाशीय भवनों को भी मुआवजे की श्रेणी में लिया जाये जिससे प्रभावित ना तो बेरोजगार हो पाएं व ना ही बेघर। उन्होंने कहा कि व्यापारियों को शॉपिंग काॅम्पलेक्स के जरिये रोजगार दिया जाय व भवन स्वामियों को 10 लाख का मुआवजा दिया जाय। रुद्रप्रयाग जनपद में तो प्रभावितों को सरकार के इस नियम के खिलाफ काफी आक्रोश है और अब घीरे-धीरे इसकी आंच अन्य जनपदों में उठने लग गई है। रुद्रप्रयाग से सटे चमोली जनपद में भी अब ऐसे प्रभावित मांगों को लेकर लामबन्द होने लग गये हैं और सामुहिक मोर्चा तैयार कर इस आग को पूरे जनपदों में फैलाने लग गये हैं।