नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) पर देशभर में मचे घमासान के बीच मोदी सरकार नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) की ओर कदम बढ़ा रही है। हालांकि, CAA और NRC की तरह गैर-बीजेपी शासित राज्य इसका भी विरोध कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपये की मांग भी की है। वहीँ CAA और NRC को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वालीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बंगाल में एनपीआर पर जारी काम को भी रोक दिया।
क्या है एनपीआर
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) देश के सभी सामान्य निवासियों का दस्तावेज है और नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है, उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है। 2010 से सरकार ने देश के नागरिकों की पहचान का डेटाबेस जमा करने के लिए इसकी शुरुआत की। इसे 2016 में सरकार ने जारी किया था। एनपीआर का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है। इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी।