नई दिल्ली : छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी वर्मा ने छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती दी थी। भ्रष्टाचार के आरोपों पर केंद्रीय सतर्कता आयोग की जांच के बाद सीलबंद लिफाफे में वर्मा ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया था।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ गुरुवार को सीबीआइ के निदेशक आलोक वर्मा के रिश्वतखोरी के मामले में उनके सीलबंद जवाब के बाद अपना रुख तय कर सकती है। वर्मा से यह जवाब सीवीसी की प्रारंभिक जांच के नतीजों पर मांगा गया था। आलोक वर्मा के अलावा सीबीआई के कार्यकारी निदेशक एम नागेश्वर राव ने भी 23 से 26 अक्टूबर के बीच लिए गए फैसलों पर बंद लिफाफे में अदालत में अपना जवाब दाखिल किया था
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक ए के शर्मा को एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित मामले की फाइल का सीवीसी कार्यालय में निरीक्षण करने की बुधवार को अनुमति दी। न्यायमूर्ति नाजमी वजीरी ने सीबीआई को अस्थाना के खिलाफ कार्यवाही के संबंध में यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश देने वाले अपने आदेश की अवधि सात दिसंबर तक बढ़ा दी।
अस्थाना ने रिश्वत मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की है।वर्मा के खिलाफ जांच के लिए सतर्कता निकाय को निर्देश दिये जाने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद मामले से जुड़ी फाइलों और दस्तावेजों को जांच पड़ताल के लिए सीवीसी के पास भेजा गया था।शर्मा को भी फाइलों का निरीक्षण करने के लिए शुक्रवार को सीवीसी कार्यालय में जाने के लिए कहा गया है। शर्मा की ओर से पेश वकील एम ए नियाजी ने कहा कि दस्तावेज निजी नहीं हैं और वे सीबीआई से भी जुड़े हुए हैं, लेकिन वह सिर्फ संवेदनशील सामग्री को इंगित करना चाहते हैं जिसे अदालत और एजेंसी द्वारा देखा जाना चाहिए।