जम्मू कश्मीर: वापस नहीं आना, तो हमें मारकर चले जाओ। ये पीड़ा उस मां की है, जिसका बेटा घर से पढ़ाई के लिए निकला था। उसका सपना कुछ बनना था, लेकिन वो आतंकी बन गया। कहानी चिंतत करने वाली है और चौंकाने वाली भी। सुरक्षा एजेंसियां भी मामले की तह तक जाने में जुटी हुई हैं। बहरहाल जो कहानी सामने है, क्या उतनेभर से कोई आतंकी बन सकता है। या फिर इसेक पीछे और भी कारण हैं। एहतिशाम की नजर में उसकी पिटाई करने वाले काफिर हैं और वो उनसे बदला लेकर रहेगा, जिसके लिए उसे जिहाद ही एक मात्र रास्ता नजर आया।
जम्मू-कश्मीर का स्टूडेंड एहतिशाम बिलाल ग्रेटर नोएडा के शारदा यूनिवर्सिटी में बीएससी एमआईटी (मेडिकल इमैजिंग टेक्नॉलोजी) की पढ़ाई करने के लिए आया था, लेकिन अब वो इस्लामिक स्टेट (आईएस) का आतंकी बन चुका है। आतंकी बन चुके एहतिशाम के पिता बिलाल अहमद सोफी अपने बेटे से वापस आने के लिए गुहार लगा रहे हैं। एहतिशाम अकेला लड़का है। उसकी मां का रो-रो कर बुरा होल है। दूसरी, और एहतिशाम उनके साथ मारपीट करने वाले लड़कों को काफिर घोषित कर बदला लेने की धमकी दे रहा है।
दरअसल, पिछले महीने 10 अक्टूबर शारदा यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने मिलकर एहतिशाम को अफगानी छात्र समझकर बुरी तरह से पीट दिया। इस घटना के बाद एहतिशाम के पिता बिलाल ने अपने बेटे से मिलने के लिए कश्मीर से ग्रेटर नोएडा की यूनिवर्सिटी पहुंचकर पुलिस से मामला सुलझाने की बात कही थी। बिलाल ने उनके बेटे के साथ मारपीट में शामिल दोषियों को सजा दिलाने के लिए एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा था। बिलाल को उसके बेटे ने बताया था कि जब वह क्लास से लौट रहा था, तब कुछ छात्रों ने उसे कैंपस में पीट दिया।
अफगानी स्टूडेंट समझकर एहतिशाम को पीटा गया था, लेकिन जिन लोगों ने उसे पीटा उन्होंने बिलाल से माफी मांगते हुए कहा था कि यह सबकुछ गलती से हुआ है। बिलाल नहीं चाहता थे कि जो स्टूडेंट्स मारपीट में शामिल थे, उनके खिलाफ एफआईआर हो, क्योंकि इससे उनका करियर बर्बाद हो जाएगा। बिलाल ने कहा कि वे शांति से इस मामले से निपटना चाह रहे थे। बिलाला के पिता ने कहा कि जब मारपीट में शामिल स्टूडेंट्स ने उनसे माफी मांगी तो, उन्हें लगा कि सब कुछ सही हो रहा है।
अपने वायरल ओडियो में एहतिशाम कह रहा है कि कैसे कैंपस में उसकी पीटाई हुई। हथियार थामने के बाद एहतिशाम ओडियो के जरिए संदेश देता है कि लड़ने के लिए जिहाद ही एक मात्र जरिया है। एहतिशाम कहता है, हमारा खून सफेद नहीं है। हम तु्म्हें खून के आंसू रुलाएंगे। मैं उन काफिरों (गैर-मुस्लिम) की आंखों में देख रहा था, जिसने ग्रुप बनाकर मुझे कुत्ते की तरह पीटा। मुझे लगा कि मैंने जिहाद का हिस्सा बनने के लिए देरी कर दी थी। लेकिन अब और नहीं।