नई दिल्ली: सरकारी कंपनियों की हालत पर कैग की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। कैग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है की बीजेपी के शासन में सरकारी कंपनियों को हर साल 30 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है। खराब हालतों में चल रहे पीएसयू में देश का हजारों करोड़ डूब रहे है। सरकारी कंपनियों के घाटे का आंकड़ा रिकॉर्ड एक लाख करोड़ को भी पार कर गया है। मौजूदी बीजेपी की सरकार में सरकारी कंपनियों को हर साल 30 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है। कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि ख़राब प्रबंधन के कारण कई पीएसयू बंद होने के कागार पर है।
गलत प्रबंधन और अन्य कारणों से सरकारी कंपनियां घाटे में चल रहीं हैं। 2014-15 में 132 सार्वजनिक उपक्रमों को 30,861 करोड़ का घाटा हुआ। इस दौरान इन कंपनियों का कुल घाटा बढ़कर एक लाख करोड़ के पार यानी 108051 करोड़ पर जा पहुंचा। 2015-16 में 153 उपक्रमों को 31,957 करोड़ का वार्षिक नुकसान उठाना पड़ा। इसी तरह 2016-17 में कंपनियों का नेट लॉस 30,678 करोड़ तक पहुंच गया। हालांकि 2015-16 की तुलना में 2016-17 में जरूर कंपनियों की हालत थोड़ सुधरी है।
कैग ने एक हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान उठाने वाली सरकारी कंपनियों की भी रिपोर्ट में बनाई है, जिसके मुताबिक 2016-17 में सबसे ज्यादा स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया को नुकसान हुआ। कंपनी को इस वर्ष 3187 करोड़ का घाटा झेलना पड़ा। इसी तरह महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड को 2941 करोड़, हिंदुस्तान फोटोफिल्म्स कंपनी लिमिटेड को 2917, यूनाइडेट इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 1914, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 1691 और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड को 1263 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। खास बात यह रही कि 173 सरकारी नियंत्रण वाले कंपनियों में से 41 को 2016-17 में ही 4308 करोड़ का नुकसान हो गया। 2017 के आंकड़ों के मुताबिक देश में 636 पब्लिक इंटरप्राइजेज कंपनियां हैं। जिसमें 438 बतौर सरकारी कंपनी लिस्टेड हैं तो छह वैधानिक निकाय और 192 कंपनियां अन्य तरह के सरकारी नियंत्रण की हैं। कैग ने कुल 579 पीएसयू की जांच की है।