नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन और हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के होने को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी के सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में सीएए को लेकर हुए विरोध-हिंसा और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के बीच सीधा संबंध है।
गृह मंत्रालय को भेजे नोट में ईडी ने बताया है कि पीएफआई से जुड़े 73 बैंक खातों से 120 करोड़ से ज्यादा की राशि कई लोगों, संस्थाओं के खाते में ट्रांसफर की गई। ईडी की जांच में पता चला है कि दिग्गज वकील कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और इंदिरा जयसिंह के खातों में भी लाखों रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। इन खातों से राशियां तुरंत निकाल ली गईं।
ED Sources: Enforcement Directorate has sent a note to the Home Ministry mentioning there is direct link between anti-CAA protests in Uttar Pradesh and the Popular Front of India. ED has drawn correlation between dates of money deposits in bank accounts&dates of anti-CAA protests
— ANI (@ANI) January 27, 2020
ईडी को जांच में पता चला है कि 73 बैंक खातों में करीब 120.5 करोड़ जमा किए गए हैं, जो प्रदर्शन वाले या उससे दो से तीन दिनों के भीतर इन बैंक खातों में बहुत मामूली राशि छोड़कर निकाल लिए गए थे। इन बैंक खातों में कैश, आरटीजीएस/एनएफटी और आईएमपीएस द्वारा जमा किए गए है। ईडी ने बताया है कि इन खातों में चेक के जरिए ही लेन देन हुए है।
क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई)
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है, जिसे पिछले वर्ष झारखंड में प्रतिबंधित किया गया। ये कदम राज्य सरकार ने इस संगठन के राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की शिकायत के बाद उठाया था। झारखंड सरकार ने माना था कि पीएफआई एक ऐसा संगठन है जो आतंकवादी संगठन आईएस से प्रभावित है। केरल में भी इस संगठन को को प्रतिबंधित करने को लेकर वर्ष 2018 में काफी बवाल हुआ था। हालांकि राज्य व्यापी विरोध के बाद भी राज्य सरकार ने इस मांग को खारिज करते हुए पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने से साफ इनकार कर दिया था। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का गठन वर्ष 2006 में नेशनल डेवलेपमेंट फ्रंट के सफल होने के बाद किया गया था।धीरे-धीरे इस संगठन से दूसरे कट्टरवादी सोच रखने वाले संगठन भी जुड़ते चले गए। वर्तमान में पीएफआई का असर 16 राज्यों में है और 15 से ज्यादा मुस्लिम संगठन इससे जुड़े हुए हैं।