देहरादून: प्रदेश में पर्यटन की रीड मानी जाने वाली चार धाम यात्रा में हेली सेवाओं को लेकर नागरिक उड्डयन विभाग पूरी तरह चरमरा गया है। जहां एक ओर चार धाम यात्राओं की तैयारी को लेकर खुद मुख्यमंत्री हर मंच से यह कहते नजर आ रहे हैं कि, वह यात्रा की पूरी तैयारियां कर चुके हैं, वहीँ नागरिक उड्डयन विभाग सरकार के साख पर बट्टा लगाने का काम कर रहा है।
विवादित हेली टेंडर में अब एक और संधोधन किया गया है। टेंडर की शर्तों में ताजा बदलाव की बात करें तो, NSOP का परमिट जहाँ पिछले संशोधन में 31 दिसम्बर 2018 तक की बात कही गई थी, वहीँ शुक्रवार को इस शर्त को अब फिर से सामान्य कर दिया गया है।
आपको बता दें कि, टेंडर में यह अब तक का छटवां संशोधन है और केवल NSOP परमिट की बात करें तो यह चौथा संशोधन है। इस शर्त को पहले क्रमशः 31 दिसम्बर 2018, 31 मई 2018, फिर 31 दिसम्बर 2018 और अब सामान्य कर दिया गया है। इससे साफ होता है कि, अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिये विभाग किस कदर आमदा हुआ जा रहा है। उसे अपने स्वार्थ के लिए ना तो सरकार की परवाह है और ना ही यात्रियों की सुविधाओं का ख्याल।
टेंडर की अंतिम तिथि से ठीक एक दिन पहले फिर एक और संशोधन, विभाग की मंशा पर कई सवाल खड़ा करते हैं। आखिर एक ही शर्त को चार बार बदलने के बाद घुमा-फिरा कर वापस पहली अवस्था में लाने से विभाग की मनमानी का साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीँ टेंडर की शर्तों को इस कदर ढाला गया है कि, उसमें केवल 9 ऑपरेटर ही फिट बैठते हैं। तो ऐसे में यह भी एक सवाल उठता है कि, यदि चहेतों को ही सेवा का मौका देना था, तो विभाग क्यों टेंडर प्रक्रिया का ढोंग कर रहा है। जबकि, ऑपरेटरों की मांग सभी को मौका देने की रही है। साथ ही वर्तमान सरकार भी इसी निति पर कार्य करने की बात कहते हुए सबका साथ सबका विकास निति का अनुसरण करने की बात कहती है। तो ऐसे में सरकार द्वारा नौकरशाही की मनमानियों पर चुप्पी साधने पर सरकार पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।
यात्रा शुरू होने के अंतिम समय तक इतने संशोधन, टेंडर का विरोध, टेंडर का बहिष्कार, आदि कई विवाद टेंडर से जुड़ने से व विभाग की कार्यप्रणाली, सरकार की भी खूब किरकिरी करवा रही है। विभाग की कार्यप्रणाली के चलते विपक्ष को भी सरकार पर जम कर निशाना साधने का मौका मिला।