देहरादून: शनिवार को स्थानीय हिंदी भवन में ‘उत्तराखण्ड अगेंस्ट करप्शन’ के अध्यक्ष संजय भट्ट ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। संजय भट्ट ने कहा कि, हाइकोर्ट नैनीताल के आदेश पर उत्तराखण्ड राज्य सरकार ने देहरादून से अतिक्रमण हटाने के लिए एमएमडीए, नगर निगम, पीडबल्यूडी, पुलिस, जिला प्रशासन और सचिवालय के सचिव स्तर के अधिकारी तैनात किए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, देहरादून में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान में आम नागरिकों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। और भाजपा महानगर कार्यालय के साथ भाजपा सांसद द्वारा 1988 में शुरू किए गए सीमांत वार्ता अखबार का कार्यालय, जो कि, पूरा अवैध अतिक्रमण है, उस पर शासन-प्रशासन और विभागों ने आंखे मूंदी है। जो कि संविधान में दर्ज समानता के अधिकार का हनन है।
उत्तराखण्ड अगेंस्ट करप्शन द्वारा, सचिव एमएमडीए को इस संबंध में पत्र रिसीव करवाया गया। जिसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, मुख्यसचिव और जिलाधिकारी को भी प्रेषित की गई।
पत्र के मुख्य आरोप
उन्होंने एमएमडीए को संबोधित इस शिकायत पत्र में लिखा कि, आप व अन्य सरकारी विभागों द्वारा देहरादून में हाईकोर्ट नैनीताल के आदेशानुसार अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है, परंतु प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आप द्वारा ये अभियान केवल आम नागरिकों के विरुद्ध ही चलाया जा रहा है।
उन्होंने लिखा कि, आपके संज्ञान में लाना चाहूंगा कि, भाजपा महानगर कार्यालय (स्थित परेड ग्राउंड) देहरादून द्वारा सड़क पर अवैध कब्जा किया गया है। जिसमें सरकारी बिजली के खम्बे भी अवैध कब्जे के अंदर हैं। जो कि साफ दिखाई देता है, परन्तु आप द्वारा कोई कार्यवाही न करना आपकी कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़े करती है।
वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद निशंक के द्वारा 1988 में शुरू किए गए अखबार सीमांत वार्ता सांध्य दैनिक ने भी अभषेक टावर, सुभाष रोड, देहरादून के काम्प्लेक्स के अंडर ग्राउंड पार्किंग में अवैध कब्जा कर अपने अखबार का कार्यकाल बना रखा है। जबकि काम्प्लेक्स की अंडर ग्राउंड जगह पार्किंग हेतु है। यह भी आपकी कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
इसके आलावा उन्होंने प्रेमनगर में 155 दुकानों को बिल्कुल समाप्त कर आप अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। परंतु भारतीय जनता पार्टी और उनके नेताओं के कब्जों पर कार्यवाही न करना हाइकोर्ट नैनीताल के आदेश का हनन ब कंडम्ट ऑफ कोर्ट प्रतीत होता है।
उन्होंने अंत में उक्त अवैध अतिक्रमण के खिलाफ उचित कार्यवाही करने की मांग की है व प्रेमनगर के 155 दुकानदारों के पुनर्वास के लिए सरकार के साथ मिलकर योजना बनाने की भी मांग की।