बड़कोट: राजनीति में दांव-पेंच का खेल पल-पल में बदलता रहता है। कुछ ऐसा ही नगर पालिका बड़कोट में देखने को मिला। यहां कुछ ऐसा हुआ, जिसकी कल्पना लोगों ने भी नहीं की थी। अनुपमा रावत भाजपा से टिकट मांगती रहीं, लेकिन भाजपा ने उनको टिकट देने के बजाय वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष जशोदा राणा पर दांव लगाया, लेकिन भाजपा को उस वक्त किरकिरी का सामना करना पड़ा, जब जिला पंचायत अध्यक्ष का नाम वोटर लिस्ट में ही नहीं जुड़ पाया। कांग्रेस ने अपना टिकट पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अतोल रावत की पत्नी लालदेई को दिया था, लेकिन अतोल रावत ने कांग्रेस आलाकमान से बात कर टिकट अनुपमा रावत को दे दिया। अनुपमा रावत ने कांग्रेस के टिकट पर अपना नामांकन कराया। अब उनकी जीत भी पक्की मानी जा रही है।
दरअसल, अनुपमा रावत पहले से ही भाजपा से टिकट के लिए दौड़ लगा रही थी। उनको आश्वासन भी दिया गया, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष जाशोदा राणा पार्टी को यही कहती रही कि वो जीत की दावेदार हैं और उनको ही टिकट मिलना चाहिए। पार्टी ने भी उनके दावे और अपने सर्वे के मुताबिक उनको टिकट दे दिया, लेकिन हुआ यूं कि जशोदा राणा ने जिला पंचायत का चुनाव लड़ते वक्त नगर क्षेत्र से अपना नाम कटवाकर ग्रामीण क्षेत्र में जुड़वा लिया था।
नगर निकाय चुनाव नजदीक आते ही उन्होंने अपना नाम कटवाकर फिर से नगर क्षेत्र में जुड़वा लिया। जिसकी शिकायत की गई और मामला चुनाव आयोग के पास पहुंच गया। उनका नाम अब तक नगर क्षेत्र में नहीं जुड़ पाया। ऐसे में यह साफ हो गया कि वो नगर क्षेत्र में नाम नहीं होने के कारण नामांकन भी दाखिल नहीं कर पाएंगे। भाजपा ने जिस उम्मीदवार पर दांव लगाया था। वह चुनाव मैदान से पहले ही बाहर हो गया।
अनुपमा रावत की जीत अब पक्की मानी जा रही है। दरअसल, भाजपा के पास उनके मुकाबले का कोई मजबूत दावेदार नहीं है। जबकि अनुपमा रावत के पक्ष में सभी कांग्रेस के साथ ही दूसरे दलों का समर्थन भी है। इसके अलावा पूर्व चेयरमैन अतोल रावत का भी उनको अब समर्थन मिल गया है। दिलचस्प बात यह रही कि एक समय निर्दलीय ताल ठोकने का मन बना चुकी अनुपमा रावत कांग्रेस के टिकट पर चुनावी रण में ताल ठोंक रही हैं।