देहरादून: केदारनाथ हेली सेवाओं से हमेशा से ही विवाद जुड़े रहे हैं। कभी हेलिपैड नियमों को तोड़ने को लेकर तो कभी ब्लैक टिकटिंग को लेकर, कभी कंपनी विशेष को लाभ पहुँचाने का आरोप तो कभी टेंडर-री-टेंडर को लेकर। वहीँ इस बार भी यात्रा के लिए हवाई सेवाओं को लेकर यूकाडा की गलत नीतियों के चलते सेवाएं शुरू होने में देरी हुई, तो यात्रा के बीच शुरू हुई हवाई सेवा शुरू होने के पहले ही दिन ब्लैक टिकटिंग का सिलसिला भी शुरू हुआ।
इन सबके बीच उड़ान के पहले ही दिन हैरानी की बात तो यह रही कि, एक एविएशन कम्पनी ने बिना अनुमति के ही दो हेलीकॉप्टरों से उड़ान भरी। जबकि टेंडर के मुताबिक, सिरसी से उड़ान के लिए उक्त कम्पनी को केवल एक हेलीकॉप्टर की अनुमति है। इतना ही नहीं इन दो उड़ानों की भनक तक ऑथोरिटी को नहीं लगी या जानबूझकर अनदेखा किया गया। साथ ही नोडल अधिकारी को भी इस बात की जानकारी नही है। तो रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी मामले की जाँच की बात कह रहे हैं। वहीँ उक्त एविएशन कम्पनी का तर्क है कि, एयर स्ट्रिप खाली होने के चलते उसने दो हेलीकॉप्टरों से उड़ान भरी।
ऐसे में अब बड़ा सवाल यह है कि, हेली कम्पनियों को जब मनमाने ढंग से ही उड़ाने भरनी हैं तो टेंडर का क्या औचित्य रह जाता है। जबकि, कुछ कम्पनियों को टेंडर में एक भी हेलीकॉप्टर उड़ने की अनुमति नहीं मिली।