पूर्णिमा मिश्रा
बाढ़, भारी बारिश से भारतभर की आधी से ज्यादा आबादी प्रभावित हो रखी है। एक तरफ उत्तराखंड लगातार हो रही बारिश से निरंतर बादल फटने की आपदा से ग्रसित है वहीं उत्तर पूर्वी भारत का हिस्सा भी प्राकृतिक आपदा से अछूता नहीं है।
जिसमें सबसे ज्यादा प्रभावित है बिहार। बिहार के हालात इस समय बेहद ही संवेदनशील बने हुए हैं। यहां चारो तरफ बाढ़ का तांडव ही नजर आ रहा है। जिससे अभी तक बाढ़ की वजह से मरने वालों की संख्या 153 पहुंच चुकी है। फिलहाल बाढ़ का यह कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लागातार हो रही बारिश ने यहां के बाशिदों का यहां रहना दूभर कर दिया है। बाढ़ से 17 जिलों में फंसे हुए लोगों की संख्या में दिनों-दिन इजाफा होता जा रहा है।
आपदा कंट्रोल विभाग की सीनियर एडिटर मोनिसा दुबे ने हैलो उत्तराखंड को अवगत कराया कि किशनगंज, अररिया, पूर्णियां, कटिहार, पूर्वी चम्पारगण, पश्चिम चम्पारण, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौला, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सहरसा, खगड़िया, सारण के क्षेत्र पूरे जलगग्न हो चुके हैं। जिनमें 108.195 (लाख) लोग प्रभावित हुए हैं। उन्होंने बताया कि राहत शिविरों 1289 लगाए गए हैं। राहत शिविरों में अभी तक 392654 शरणार्थियों को शरण दी हुई है। आपदा पीड़ितों के लिए 1765 सामुदायिक रसोइयों का इंतजाम किया गया है। जिसमें प्रति दिन 344588 आपदा पीड़ितों को भोजन मुहैया करवाया जा रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि आपदा पीड़ितों की मदद के लिए एनडीआरएफ की 28 टीमे, एसडीआरएफ की 16, आरमी की 7 टीमें आपदा पीड़ितों को सहायता प्रदान कर रहे हैं। और बाढ़ में फंसे हुए लोगों को निकाला जा रहा है।
वहीं इस बाबत मुख्यमंत्री ने मंत्रीमंडल की एक बैठक की। जिसमें बाढ़ एवं राहत कार्य की समीक्षा की गई और युद्धस्तर पर कार्य जारी रखने का निर्देश दिया गया। सीएम ने साथ ही मोतिहारी जिला के सुगौली एवं आस-पास के क्षेत्रों में इन्टेनसिव एयर ड्रॉपिंग का विशेष निर्देश दिया है।
भले ही अभी तक यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है कि इतनी अधिक मात्रा में पानी कहां से आ गया जिसने समूचे बिहार को डुबो लिया है।