नैनीताल: आज अमन मणि त्रिपाठी पास मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारी देहरादून, जिलाधिकारी चमोली, जिलाधिकारी पौड़ी और जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग, अमनमणि त्रिपाठी व उनके सहयोगों को नोटिस जारी किया है, जिसमे 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा गया है। नोटिस में सरकार से कोर्ट द्वारा यह पुछा गया है कि किन परिस्थितियों में अमनमणि त्रिपाठी व उनके सहयोगों को पास जारी किया गया था और क्या संबंधित व्यक्ति पास जारी करने के लिए अधिकृत था की नहीं।
आप को बतादें कि यह जनहित याचिका समाचार प्लस के उमेश कुमार ने हाई कोर्ट नैनीताल में दाखिल कर कहा था क़ि प्रमुख सचिव ओमप्रकाश ने 11 लोगों को स्पेशल पास इशू किया था जिसमे उतर प्रदेश के एक निर्दलीय विधायक भी थे। पिछले दिनों लॉकडाउन का उल्लंघन कर विधायक अमनमणि त्रिपाठी बदरीनाथ की यात्रा पर निकले थे जिनके काफिले को चमोली जिले के कर्णप्रयाग पुलिस ने सिर्फ प्राथमिक रिपोर्ट पंजीकृत कर बिना गिरफ़्तार किये उनको छोड़ दिया गया। साथ ही क्वारंटाइन की भी करवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी लिखा है कि उन्होने इस मामले में राज्य सरकार को कार्रवाई हेतु लिखा भी था लकिन राज्य सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई जिस कारण उनको कोर्ट का दरवाजा खट खाना पड़ा।
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विधायक का कहना था कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता के पितृ कार्य के निमित्त बदरीनाथ जा रहे हैं। उनके पास बाकायदा उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश द्वारा अनुमति पत्र भी थे।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है और यह केस सीबीआई को सौंपे जाने योग्य नहीं है। विधायक व साथियों को चमोली जिले के कर्णप्रयाग से ही लौटा दिया गया। विधायक अमनमणि व साथियों को दो से सात मई तक का पास जारी किया गया था। उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते ही विधायक को साथियों समेत गिरफ्तार किया गया था।
देखें इस मामले को लेकर क्या कहना है याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गोपाल वर्मा का।
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