देहरादून: होईकोर्ट ने केदारनाथ हेली सेवा के टेंडर पर रोक लगा दी है। हेली सेवा के लिए टेंडर आज खोले जाने थे। हाईकोर्ट में केदार घाटी में नए हेलीपैडों के निर्माण रोक के बावजूद बनाए गए नए हेलीपैडों के निर्माण पर हाईकोर्ट कड़ा रुख अखतियार किया है। सरकार ने केदार धाटी में अपने ही सर्कुलर के विपरीत नए हेलीपैडों को निर्माण कराया था। इतना ही नहीं उन हेलीपैडों को टेंडर की प्रक्रिया में भी शामिल कर लिया था, जिसको लेकर एक याचिका दायर की गई थी।
केदारनाथ धामके कपाट 9 मई को खुल रहे हैं। दरअसल, सरकार ने जो टेंडर प्रक्रिया अपनाई है। उससे इस साल भी पिछले साल की तरह ही केवल 9 हेली आपरेटरों को ही मौका मिल। 15 मार्च को यह टेंडर प्रक्रिया शुरू की जानी थी, लेकिन आगामी आम चुनावों के चलते देश भर में आचार संहिता लागू है। जिसके चलते युकाडा को यह सेवा उपलब्ध कराने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी। टेंडर में पहले केदारनाथ यात्रा के लिए हेली सेवा के टेंडर में पहले से ही अप्रूव्ड 14 हेलीपैडों का जिक्र किया गया था। लेकिन एक हफ्ते बाद ही फिर से नियम विरुद्ध बनाए गए चार नए हेलीपैडों को भी इसमें शामिल कर दिया गया। यानी कुल अट्ठारह हेलीपैडों को दर्शाया गया।
ऐसे में जीरो टॉलरेंस का नारा देने वाली सरकार के इस तरह अपने ही शासनादेश को दरकिनार करना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।बता दें कि, उत्तराखंड शासन द्वारा 9 जून 2016 को केदारनाथ धाम हवाई सेवा के लिए 14 हेलीपैड के बाद नए हेलीपैड बनने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया। सुरक्षा का हवाला देकर यह शासनादेश जारी किया गया। शासनादेश में साफ किया गया कि इन 14 हेलीपैडों के अलावा भविष्य में वहां पर कोई भी नया हेलीपैड बनाने की अनुमति नहीं होगी। बकायदा यह शासनादेश भारत सरकार को भी भेजा गया।बावजूद इसके धाम के लिए 4 नए हेलीपैडों का निर्माण हुआ। सूचना के अधिकार के तहत रुद्रप्रयाग जिला अधिकारी ने बताया कि, नए हेलीपैडों को सीज करने के आदेश एसडीएम उखीमठ को दिए जा चुके हैं। इससे एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि, जिन हेलीपैडों को जिलाधिकारी द्वारा सीज करने के आदेश दिए जाते हैं, तो उन्हीं हेलीपैडों कैसे टेंडर में शामिल किया जा सकता है।